History of Rajasthan

Painting and Arts of Alwar

अलवर की चित्रकला राजस्थान की विभिन्न ​चित्रकला शैलियों में अलवर शैली की अपनी विशिष्टता है। अलवर शैली की चित्रकला का विकास अलवर रियासत के संस्थापक राव राजा प्र​तापसिंह द्वारा 1775 में राजगढ़ को अपनी राजधानी बनाने से लेकर तत्कालीन महाराजा जयसिंह के शासनकाल (1892—1937) के अन्त तक रहा। इस काल में जिन कलाकारों ने अपनी […]

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Music of Alwar

अलवर की संगीत कला कलाओं की साधना और विकास में इस जिले के कलाकारों को अपनी देन रही है। यहां की संगीत परम्परा को दरबारी संगीत और लोक संगीत मे विभाजित किया जा सकता है। दरबारी संगीत में गणगौर, तीज, होली, दिपावली जैसे पर्व तथा विवाह और अन्य मांगलिक अवसरों पर आयोजित संगीत म​हफिलों में

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Literature of Alwar

अलवर का साहित्य              अलवर की साहित्य साधना भक्ति परम्परा, रीति परम्परा और आधुनिक साहित्य में विभाजित की जा सकती है। लोक भाषा और बोलियों में रचा साहित्य इस परम्परा का दूसरा अंग है। जिले के प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण वन अंचलों में स्थित पर्वतीय कन्दराएं प्राचीन काल से ही

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Freedom struggle in Alwar

अलवर में स्वतंत्रता संग्राम 1925— राज द्वारा की गई लगान वृद्धि के विरूद्ध किसान आन्दोलन, चौबीस मई को नीमूचाना में किसानों की बड़ी सभा। राज की सेना द्वारा गोलीकांड में अनेक व्यक्ति मरे, सैकड़ों दुधारू पशु जल मरे, गांव में आगजनी। गांधी जी ने ‘हरिजन’ में इसे जलियां वाला कांड की संज्ञा दी। 1932— हिन्दुस्तान

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History of Alwar

अलवर का ऐतिहासिक परिदृश्य            अलवर जिला राजस्थान के अग्रणी जिलों में से एक है। इस आधुनिक शहर का इतिहास अति प्राचीन है। वैसे तो प्राचीन काल से ही यह नगर बसा हुआ है लेकिन महाभारत काल से इसका विधिवत इतिहास प्राप्त होता है। महाभारत युद्ध से पूर्व यहाँ राजा विराट

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Fairs and Festivals of Ajmer

अजमेर के मेले एवं त्यौहार ख्वाजा साहब की उर्स अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह जिन्हें अजमेर शरीफ भी कहा जाता है। यहां प्रति वर्ष रज्जब माह की एक से 6 तारीख तक उर्स मेला भरता है। देश के विभिन्न भागों से सभी धर्मों के धर्मावलम्बी इस मेले मे आते हैं। ख्वाजा साहब

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Historical Places of Ajmer: nasiyan gee, Rajputana museum, Dadabari and Bajrang garh Temple

अजमेर के अन्य दर्शनीय स्थल नसियांजी स्व.सेठ मूलचन्द सोनी द्वारा इसका निर्माण प्रारंभ किया गया था तथा उनके ही पुत्र स्व.सेठ टीकमचन्द सोनी द्वारा सन् 1865 में निर्माण कार्य पूरा कराया गया। यह जैन मंदिर प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ अथवा ऋषभदेव का है। मुख्य मंदिर के पीछे विशाल भवन में जैन दर्शन व तीर्थकंरों के

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Historical Places of Ajmer: Pushkar

तीर्थराज पुष्कर तीर्थराज पुष्कर अजमेर नगर के उत्तर पश्चिम में 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मार्ग में सुरम्य घाटी है जो ‘पुष्कर घाटी’ के नाम से विख्यात है। यह तीर्थ समुद्री तल से 530 मीटर की उंचाई पर स्थित है। भारत में ब्रह्मा का एकमात्र एवं प्राचीनतम मंदिर यदि कहीं है तो पुष्कर

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Historical Places of Ajmer: Shrine of Moinuddin Chishti

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह ख्वाजा साहब और गरीब नवाज के नाम से विश्वविख्यात है। यह दरगाह एक धार्मिक स्थल है जहां मुस्लिमों के साथ—साथ अन्य सभी धर्मों के भी लोग अपनी हाजिरी देने जाते हैं। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेर के प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का जन्म 536

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Lakes of Ajmer

अजमेर की झीलें आनासागर दो पहाड़ियों के बीच में पाल डालकर सम्राट पृथ्वीराज के पितामह राजा अरणोराज अथवा आनाजी द्वारा 1135 ई. में निर्मित यह कृत्रिम झील शहर के अनुपम सौन्दर्य में ​अभिवृद्धि करती है। सम्राट जहांगीर ने इस झील के किनारे शही बाग बनवाया जिसका नाम दौलतबाग रखा गया। सम्राट शाहजहां ने सन् 1627

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