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Historical Places of Banswara: Tripura Sundari Temple

त्रिपुरा सुन्दरी (Tripura Sundari) तलवाड़ा ग्राम से 5 किलोमीटर दूर स्थित भव्य प्राचीन त्रिपुरा सुन्दरी (Tripura sundari) मंदिर है​ जिसमें सिंह पर सवार भगवती अष्टादश भुजा की मूर्ति है। मूर्ति की अष्टादश भुजाओं में अठारह प्रकार के आयुध हैं। पैरों के नीचे प्राचीनकालीन कोई यंत्र बना हुआ है। इसे श्रद्धालु त्रिपुरा सुन्दरी (Tripura sundari) तरतई […]

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Historical Places of Banswara: Jain Mandir, Kalinjara

कलिंजरा का जैन मंदिर बांसवाड़ा से 30 किलोमीटर दूर दक्षिण—पश्चिम में स्थित हिरन नदी के तट पर बसे कलिंजरा ग्राम के जैन मंदिर प्रसिद्ध है। यहां पर एक बड़ा शिखरबंद पूर्वाभिमुख जैन मंदिर है। इसके दोनो पार्श्वों में और पीछे एक—एक शिखरबंद मंदिर बना हुआ है और चारों तरफ देव कुलिकाएं हैं। यह मंदिर दिगम्बर

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Historical Places of Banswara: Cheench Brahma Temple

छींच का ब्रह्मा मंदिर बारहवीं शताब्दी मे छींच ग्राम में बना ब्रह्मा जी का मंदिर राज्य के बेहतरीन मंदिरों में से एक है। ब्रह्माजी की इतनी विशाल मूर्ति वाला मंदिर आस—पास और कहीं नहीं है। मंदिर का सभा मंडप बड़ा विशाल है। खम्भों पर खुदाई देखते ही बनती है। छह फुट उंची सुन्दर चार मुखों

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Historical Places of Banswara: Ghotiya Amba

घोटिया अम्बा बांसवाड़ा जिले में महाभारत से सम्बन्धित प्रसिद्ध मंंदिर घोटिया अम्बा स्थित है। यह अत्यंत प्रसिद्ध मंदिर बागीदोरा पंचायत समिति क्षेत्र में आता है। यह स्थल बांसवाड़ा से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित है। महाभारत की कथा के अनुसार पांडवों ने वनवास के समय अपना कुछ समय घोटिया आम्बा केलापानी स्थल पर गुजारा था।

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Historical Places of Banswara: Abdul pir ka Makbara

बांसवाड़ा शहर (Banswara City) अब्दुल्ला पीर का मकबरा जिले का मुख्यालय बांसवाड़ा शहर में स्थित है और यह भूतपूर्व बांसवाड़ा के प्र​थम प्रमुख जगमाल द्वारा बसाया गया है। इसके पूर्व में प्रतिवेशी पहाड़ियों द्वारा बने एक गर्त में बाईताल नाम से ज्ञात एक कृत्रिम तालाब है जो महारावल जगमाल की रानी द्वारा निर्मित बताया जाता

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Monuments of Alwar: Naldeshwar Temple

नलदेश्वर  जिले में प्राकृतिक सुरम्य स्थलों में नलदेश्वर का भी नाम आता है। यह अलवर और थानागाजी के मध्य पहाड़ियों में स्थित है। सड़क मार्ग पर बारां से आगे चलने पर अलवर थानागाजी के बीच ​की ये पहाड़ियां स्थित है। सड़क के बाईं तरफ पहाड़ी की घाटी से अन्दर जाने वाला रास्ता ही नलदेश्वर को

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Historical Monuments of Alwar: Neelkanth Temple

नीलकंठ  अलवर जिले के दर्शनीय स्थलों में नीलकण्ठ भी एक सुरम्य दर्शनीय और धार्मिक स्थान है। कनिंघम के अनुसार अलवर शहर से दक्षिण पश्चिम में कोई 61 किलोमीटर दूर स्थित नीलकण्ठ कछवाह राज्य की स्थापना से पूर्व बडगूर्जर नरेशों की राजधानी था। यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य बड़ा अनुपम है। इस स्थल पर ‘नीलकण्ठेश्वर’ का मन्दिर

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Alwar: National Park Sariska

सरिस्का  अलवर जयपुर मार्ग पर अलवर से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित सरिस्का अभयारण्य सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र है। आठ सौ वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभयारण्य में बड़ी संख्या में वन्यजीवों को विचरण करते हुए देखा जा सकता है। इसे 1955 में वन्यजीव आरक्षित भूमि घोषित किया गया था। 1979 में इसे बाघ

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Historical Monuments of Alwar: Pandupol Shri Hanuman Temple

पाण्डुपोल   अलवर जिले के दर्शनीय स्थलों में पाण्डुपोल का अपना विशेष महत्व है। यह स्थान प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ—साथ ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि अज्ञातवास के समय पाण्डवों को जब कौरवों की सेना ने आ घेरा तो महाबली भीम ने पहाड़ में गदा मारकर अपना रास्ता निकाला था।

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Historical Monuments of Alwar: Bhartrihari Temple

भर्तृहरि  उज्जैन के राजा और महान योगी भर्तृहरि ने अपने अंतिम दिनों में अलवर को ही अपना तपस्या स्थल चुना। अलवर शहर से 35 किलोमीटर दूर स्थित यह तपस्या स्थल ‘भर्तृहरि’ के नाम से विख्यात है। प्राकृतिक स्थल होने के साथ ही यह ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी है। यहां बनी भर्तृहरि की समाधि पर

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