पाण्डुपोल
अलवर जिले के दर्शनीय स्थलों में पाण्डुपोल का अपना विशेष महत्व है। यह स्थान प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ—साथ ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि अज्ञातवास के समय पाण्डवों को जब कौरवों की सेना ने आ घेरा तो महाबली भीम ने पहाड़ में गदा मारकर अपना रास्ता निकाला था। तभी से यह स्थान पाण्डुपोल के नाम से विख्यात हो गया। आज भी इस स्थान पर लगभग 35 फीट ऊंचाई पर बीच में से पहाड़ काटकर दरवाजा सा बना हुआ है। पाण्डुपोल से पहले हनुमान जी का एक विशाल मंदिर है। मंदिर में हनुमान जी की शयन मुद्रा में विशाल प्रतिमा है। भादों के महीने में यहां विशाल मेला लगता है जिसमें अलवर के अतिरिक्त राज्य के अन्य जिलों से भी बड़ी संख्या में यात्री आते हैं।