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ancient history of rajasthan part-1

राजस्थान का प्राचीन इतिहास भाग—1

 

रास्थान में आदि मालव द्वारा प्रयुक्त लगभग डेढ़ लाख वर्ष पुराने प्राचीनतम पाषाण उपकरण मिले हैं।

राजस्थान में मानव सभ्यता पुरा-पाषाण, मध्यपाषाण और तथा उतर-पाषाण युग के प्रमाण मिले हैं।

यहां हैण्ड एक्स, क्लीवर और चॉपर आदि मिले हैं।

राजस्थान में इसके सम्बन्ध में प्रमाण बनास,गंभीरी, बेड़च, बाधन तथा चम्बल नदियों के आसपास मिले हैं।

राजस्थान में निम्न स्थानों पर पुरापाषाण काल के हथियार मिले हैं:

नगरी, खोर, खेडा, अनचर, ब्यावर, बड़ी, देवकी, उणचा, हीरा जी का खेडा, चितौड़ जिले में परिधि नदी के तट पर स्थित बल्लु खेड़ा, चम्बत्न और वामनी के तट पर​ स्थित नगघाट, भैंसरोडगढ़, हमीरगढ़, बीगोद, जहाजपुर, देवली, मगरोप, दुनिया, स्वरूपगंज, खुरियास, गोगाखेड़ा, पुर, पटला, संद, कुंवारिया, भीलवाडा जिले में बनास नदी के तट पर स्थित गिलुंद, जोधपुर जिले में लूनी के तट पर स्थित लूणी, गुडिया और बांडी नदी स्थित सिंगारी और पाली, समदडी, शिकारपुरा, भावल, पीचक, भांडेल, धनवासनी, सोजत, धनेरी, भेटान्दा, धुंधाडा, गोलियाँ पीपाड, खींवसर, गागरोन (झालावाड़), अजमेर जिले में सागरमती के तट पर स्थित गोविंदगढ़, कोटा जिले में परवानी नदी के तट पर स्थित कोकानी, भुवाणा, हीरो, जगन्नाथपुरा, सियालपुरा, पच्चर, तारावट, गोगासला, टोंक जिले में भरनी।

मध्य-पाषाण युग लगभग 50 हजार वर्ष पूर्व आरंभ हुआ। इस काल के उपकरणों में स्क्रेपर तथा पाइंट को गिना जा सकता हैं। 
ये औजार लूनी और उसकी सहायक नदियों की घाटियों में, चित्तोड़गढ़ जिले की बेड़च नदी की घाटी में और विराटनगर में प्राप्त हुए हैं। 
उत्तर-पाषाणकाल का आरंभ लगभग 10 हजार वर्ष पूर्व हुआ। इसी काल में सबसे पहले हाथ और चाक का उपयोग करके  बर्तन बनाये गये ।
इस युग के औजार चित्तोड़गढ़ जिले में बेड़च व गंभीरी नदियों के तट पर, चम्बल ओंर वामनी नवी के तट पर भैंसरोडगढ़ व नवाघाट, बनास के तट पर हमीरगढ़, जहाजपुर, देवली व गिलूंड, लूनी नदी के तट पर पाली, समदडी, बनास नदी के तट पक्ष टोंक जिले में भरनी, उदयपुर के बागोर तथा मारवाड़ के तिलवाड़ा से मिले हैं। 
उत्तर पाषाण काल में कपास की खेती के प्रमाण मिलते हैं। 
जाति व्यवस्था और वर्ग व्यवस्था की शुरूआत भी इसी काल से होती है।

 

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