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Historical Places of Banswara: Jain Mandir, Kalinjara

कलिंजरा का जैन मंदिर बांसवाड़ा से 30 किलोमीटर दूर दक्षिण—पश्चिम में स्थित हिरन नदी के तट पर बसे कलिंजरा ग्राम के जैन मंदिर प्रसिद्ध है। यहां पर एक बड़ा शिखरबंद पूर्वाभिमुख जैन मंदिर है। इसके दोनो पार्श्वों में और पीछे एक—एक शिखरबंद मंदिर बना हुआ है और चारों तरफ देव कुलिकाएं हैं। यह मंदिर दिगम्बर […]

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Historical Places of Banswara: Cheench Brahma Temple

छींच का ब्रह्मा मंदिर बारहवीं शताब्दी मे छींच ग्राम में बना ब्रह्मा जी का मंदिर राज्य के बेहतरीन मंदिरों में से एक है। ब्रह्माजी की इतनी विशाल मूर्ति वाला मंदिर आस—पास और कहीं नहीं है। मंदिर का सभा मंडप बड़ा विशाल है। खम्भों पर खुदाई देखते ही बनती है। छह फुट उंची सुन्दर चार मुखों

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Historical Places of Banswara: Ghotiya Amba

घोटिया अम्बा बांसवाड़ा जिले में महाभारत से सम्बन्धित प्रसिद्ध मंंदिर घोटिया अम्बा स्थित है। यह अत्यंत प्रसिद्ध मंदिर बागीदोरा पंचायत समिति क्षेत्र में आता है। यह स्थल बांसवाड़ा से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित है। महाभारत की कथा के अनुसार पांडवों ने वनवास के समय अपना कुछ समय घोटिया आम्बा केलापानी स्थल पर गुजारा था।

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Historical Places of Banswara: Abdul pir ka Makbara

बांसवाड़ा शहर (Banswara City) अब्दुल्ला पीर का मकबरा जिले का मुख्यालय बांसवाड़ा शहर में स्थित है और यह भूतपूर्व बांसवाड़ा के प्र​थम प्रमुख जगमाल द्वारा बसाया गया है। इसके पूर्व में प्रतिवेशी पहाड़ियों द्वारा बने एक गर्त में बाईताल नाम से ज्ञात एक कृत्रिम तालाब है जो महारावल जगमाल की रानी द्वारा निर्मित बताया जाता

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Banswara: Geographical facts

बांसवाड़ा की भौगोलिक स्थिति अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ बांसवाड़ा जिले का क्षेत्रफल 5076.99 वर्ग किलोमीटर है। यह जिला 23 डिग्री 11 मिनट से 26 ​डिग्री 56 मिनट उत्तरी अक्षांश 74 डिग्री से 74 डिग्री 47 मिनट पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। इसके उत्तर में उदयपुर जिले की धरियावद तहसील और प्रतापगढ़ जिला,

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History of Banswara

बांसवाड़ा (Banswara) का ऐतिहासिक परिदृश्य ऐतिहासिक तौर पर वागड़ राज्य की स्थापना के कई तथ्य पाए जाते हैं। एक मान्यता के अनुसार बंसिया भील ने बांसवाड़ा (Banswara) की नीव रखी थी जबकि एक दूसरा मत यह है कि गुहिलोतों ने वागड़ राज्य की स्थापना की थी। इन तथ्यों के बावजूद ज्यादातर यही माना जाता है कि

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Various Fairs and Festivals of Alwar

अन्य प्रमुख मेले  अलवर जिले में डहरा शाहपुरा में शिवरात्रि को चूडसिद्ध का मेला, बानसूर में चैत्रशुक्ला 12 को गिरधारीदास का मेला, चैत्र शुक्ला 13 को हाजीपुर में​ किले वाले हनुमानजी का मेला, चैत्र शुक्ला 14 को हरसोरा में हनुमानजी का मेला, चैत्र कृष्णा अष्ठमी को बिलारी माता का मेला सहित शेरपुर में लाल दास,

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Fairs and Festivals of Alwar: Jagannath G Rathyatra and Mela

जगन्नाथ जी का मेला एवं रथयात्रा  अलवर के पास रूपवास में श्री जगन्नाथ महाराज का लक्खी मेला आषाढ़ सुदी अष्टमी से तेरस तक लगता है। इस मेले के शुभारम्भ पर सीतारामजी की सवारी रूपवास पहुंचती है, जब​कि जगन्नाथ जी महाराज की रथ यात्रा शहर के सुभाष चौक स्थित जगन्नाथ जी मंदिर से निकाली जाती है।

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Fairs and Festivals of Alwar: Pandupol Mela

पाण्डुपोल का मेला सरिस्का की बाघ परियोजना से लगभग 20 किलोमीटर उत्तर में स्थित घने जंगलों में पाण्डुपोल हनुमान जी का मनोरम स्थान स्थित है। यहां पर भादवा शुक्ला चतुर्थी व पंचमी को हनुमान जी का लक्खी मेला लगता है। इस मेले में पूरे राजस्थान के अलावा आस—पास के राज्यों से भी ढेरों श्रद्धालु आते

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Fairs and Festivals of Alwar: Bhartihari Baba ka Mela

भर्तृहरि बाबा का मेला  अलवर—जयपुर मार्ग पर सरिस्का से तीन किलोमीटर पूर्व—दक्षिण दिशा में भर्तृहरि बाबा का स्थान स्थित है। यहां प्रतिवर्ष भादवा शुक्ल अष्टमी को लक्खी मेला लगता है। वैसे वर्ष में यहां दो बार मेला लगता है तथा श्रावण तथा भादवा के महीनों में अ​ष्टमी के दिन यहां मेले अपने पूरे उफान पर

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