पाण्डुपोल का मेला
सरिस्का की बाघ परियोजना से लगभग 20 किलोमीटर उत्तर में स्थित घने जंगलों में पाण्डुपोल हनुमान जी का मनोरम स्थान स्थित है। यहां पर भादवा शुक्ला चतुर्थी व पंचमी को हनुमान जी का लक्खी मेला लगता है। इस मेले में पूरे राजस्थान के अलावा आस—पास के राज्यों से भी ढेरों श्रद्धालु आते हैं। पहले वे पाण्डुपोल के झरने में स्नान करते हैं और इसके बाद हनुमान जी के दर्शन का लाभ उठाते हैं। मेले में रात्रि जागरण होता है और हनुमान जी की ज्योत जलाने व भोग लगाने के कार्यक्रम होते हैं। इस मन्दिर में स्थित हनुमान जी की लेटे हुए शयन की मुद्रा में प्रतिमा है। इस प्रतिमा के प्रसंग को महाभारत काल से जोड़ा जाता है जिसमें रास्ते में लेटे हुए वृद्ध बंदर को भीम रास्ते से हटाने के लिए कहते हैं। बूढ़े वानर अपनी पूंछ को भीम से एक ओर हटाने के लिए कहते हैं। भीम पूरी ताकत लगाकर भी वृद्ध वानर की पूंछ को हिला नहीं पाते। इससे महाबली भीम का गर्व चूर—चूर होता है। तब हनुमानजी ने अपने असली स्वरूप के दर्शन भीम को इसी स्थान पर दिए। इस स्थान के पास पहाड़ में पाण्डवों द्वारा बनाया गया एक दरवाजा है इसलिए इस स्थान को पाण्डुपोल कहा जाता है।