monuments of Rajasthan

Historical Places of Alwar: Narayani ji, jaisamand Bandh and Museam

अन्य दर्शनीय स्थल नारायणीजी : अलवर जिले की राजगढ़ तहसील में बरवा डूंगरी की तलहटी में स्थित इस रमणीय स्थल पर नाई समाज की कुल देवी ‘नारायणी’ माता का मन्दिर है। मन्दिर के सामने संगमरमरी पत्थरों से बना एक छोटा सा कुंड भी है। सैलानियों के आकर्षण का यह प्रमुख केन्द्र है। जयसमन्द बांध : …

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Historical Places of Alwar: Bhangarh Fort

भानगढ़  सन् 1631 में राजा माधोसिंह द्वारा करीब 10 हजार की आबादी की बसाई हुई यह नगरी अचानक अज्ञात कारणों से उजड़ गई। यहां पर योजनाबद्ध तरीके से निर्मित आवास, बाजार एवं कलात्मक मंदिर देखने लायक हैं। भानगढ़, राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के एक छोर पर स्थित है। यहाँ का किला बहुत …

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Historical Places of Alwar: fatehganj gumbad

फतहगंज गुम्बद   अलवर रेलवे स्टेशन के पास बनी यह पांच मंजिल की यह गुम्बद अनायास ही आते जाते यात्रियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। चौकोर आधार पर बनी इस गुम्बद की हर मंजिल में चारों तरफ दरवाजे और छोटे—छोटे गवाक्ष बने हुए हैं। पहली मंजिल के दरवाजों और छतों पर सुन्दर …

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Historical Places of Alwar: Moosi Maharai ki Chatri

मूसी महारानी की छतरी बाला दुर्ग के नीचे और शहर महल के पिछवाड़े सागर के दक्षिणी किनारे पर बनी यह अनूठी छतरी राजपूत स्थापत्य कला की एक अनुपम धरोहर है। एक विशाल चबूतरे पर मूसी महारानी और तत्कालीन महाराजा बख्तावर सिंह की ​स्मृति में बनी और संगमरमर के अस्सी ख्म्भों पर टिकी यह कलात्मक छतरी …

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Historical Places of Alwar: Shimla (Company Bagh)

शिमला (कंपनी बाग) अलवर के कम्पनी बाग में सन् 1885 में तत्कालीन महाराजा मंगलसिंह द्वारा निर्मित यह शिमला देशी—विदेशी पर्यटकों को तो अपनी ओर आकर्षित करता ही है, साथ ही अपनी अनूठी विशेषताओं के कारण पूरे भारत में अपना सानी नहीं रखता। जो जमीन से पच्चीस फीट गहरे तीस सौ अस्सी फीट लंबे और 288 …

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Historical Places of Alwar: Bala Fort or Bala Quila

बाला दुर्ग   अलवर का बाला दुर्ग ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण दुर्ग है। शिल्प शास्त्र के मुताबिक बाला दुर्ग यदियानी शिल्प जाति का है। यह समुद्रतल से 1960 फुट और समतल भूमि से एक हजार फुट ऊॅंचा है। इसकी लम्बाई उत्तर से दक्षिण तक 3 मील, चौड़ाई पूर्व से पश्चिम तक एक मील है …

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Monuments of Alwar: Naldeshwar Temple

नलदेश्वर  जिले में प्राकृतिक सुरम्य स्थलों में नलदेश्वर का भी नाम आता है। यह अलवर और थानागाजी के मध्य पहाड़ियों में स्थित है। सड़क मार्ग पर बारां से आगे चलने पर अलवर थानागाजी के बीच ​की ये पहाड़ियां स्थित है। सड़क के बाईं तरफ पहाड़ी की घाटी से अन्दर जाने वाला रास्ता ही नलदेश्वर को …

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Historical Monuments of Alwar: Neelkanth Temple

नीलकंठ  अलवर जिले के दर्शनीय स्थलों में नीलकण्ठ भी एक सुरम्य दर्शनीय और धार्मिक स्थान है। कनिंघम के अनुसार अलवर शहर से दक्षिण पश्चिम में कोई 61 किलोमीटर दूर स्थित नीलकण्ठ कछवाह राज्य की स्थापना से पूर्व बडगूर्जर नरेशों की राजधानी था। यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य बड़ा अनुपम है। इस स्थल पर ‘नीलकण्ठेश्वर’ का मन्दिर …

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Historical Monuments of Alwar: Pandupol Shri Hanuman Temple

पाण्डुपोल   अलवर जिले के दर्शनीय स्थलों में पाण्डुपोल का अपना विशेष महत्व है। यह स्थान प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ—साथ ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि अज्ञातवास के समय पाण्डवों को जब कौरवों की सेना ने आ घेरा तो महाबली भीम ने पहाड़ में गदा मारकर अपना रास्ता निकाला था। …

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Historical Monuments of Alwar: Bhartrihari Temple

भर्तृहरि  उज्जैन के राजा और महान योगी भर्तृहरि ने अपने अंतिम दिनों में अलवर को ही अपना तपस्या स्थल चुना। अलवर शहर से 35 किलोमीटर दूर स्थित यह तपस्या स्थल ‘भर्तृहरि’ के नाम से विख्यात है। प्राकृतिक स्थल होने के साथ ही यह ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी है। यहां बनी भर्तृहरि की समाधि पर …

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