मूसी महारानी की छतरी
बाला दुर्ग के नीचे और शहर महल के पिछवाड़े सागर के दक्षिणी किनारे पर बनी यह अनूठी छतरी राजपूत स्थापत्य कला की एक अनुपम धरोहर है। एक विशाल चबूतरे पर मूसी महारानी और तत्कालीन महाराजा बख्तावर सिंह की स्मृति में बनी और संगमरमर के अस्सी ख्म्भों पर टिकी यह कलात्मक छतरी निश्चय ही दर्शकों को अपनी ओर आकृष्ट करती है। इस दुमंजिला भवन का निर्माण विनय सिंह ने महाराजा बख्तावर सिंह और उनकी रानी मूसी के सम्मान में ईसा पश्चात वर्ष 1815 में करवाया था। लाल बालूपत्थर से बनी हाथी के आकार की संरचनाएँ इसकी ओर ध्यान आकर्षित करती हैं। ऊपरी मंजिल में संगमरमर से बनी हुई असामान्य गोल छत, शानदार पट्टी और मेहराब हैं। स्मारक की आंतरिक संरचना में शानदार नक्काशी है और दीवारों पर चित्र हैं। इस परिसर में सैंकडों पक्षी और मोर देखने को मिलते हैं जो यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए दावत के समान है।