इन्दिरा गांधी नहर परियोजना परीक्षा में पूछे जाने वाले तथ्य
इन्दिरा गांधी नहर परियोजना में रावी एवं व्यास नदियों का 7.59 मिलियन एकड़ फुट पानी राजस्थान के उत्तरी पश्चिमी भाग में सिंचाई, पेयजल व अन्य कार्यों के लिये काम में लिया जाना निर्धारित है।
पंजाब में व्यास और सतलज नदियों के संगम पर बने हरिके बैराज पर इस नहर का उद्गम स्थल है।
राज्य का भूगोल बदलने वाली महत्वाकांक्षी परियोजना का शुभारम्भ 30 मार्च, 1958 को भारत के तत्कालीन गृहमंत्री स्वर्गीय गोविन्द बल्लभ पंत के करकमलों से हुआ।
पूर्व उप राष्ट्रपति स्व. डाॅ. एस.राधाकृष्णन द्वारा 11 अक्टूबर 1961 को नौरंगदेसर वितरिका से सर्वप्रथम जल प्रवाहित कर मरूभूमि में विकास के महायज्ञ की शुरूआत की गई।
राजस्थान के इतिहास में 1 जनवरी, 1987 का दिन स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगा जब ‘मरूगंगा’ इन्दिरा गांधी नहर ने विशाल एवं दुर्गम मरूस्थल को भेदते हुये 649 किलोमीटर लम्बी जल यात्रा पूरी की।
इस दिन हिमाचल के पावन जल ने एक लम्बा सफर तय कर जैसलमेर जिले के सुदूर मोहनगढ़ को स्पर्श किया।
इंदिरा गांधी नहर के प्रमुख तथ्य
➤ इन्दिरा गांधी फीडर की लम्बाई – 204 किलोमीटर
➤ मुख्य नहर की लम्बाई – 445 किलोमीटर
➤ शाखाओं एवं छोटी नहरों की लम्बाई – 8120 किलोमीटर
➤ इन्दिरा गांधी फीडर के शीर्ष पर क्षमता – 523.86 घन मीटर प्रति सैकण्ड (18500 घ.फु.प्र.सै.)
➤ इन्दिरा गांधी फीडर तले की चौड़ाई (राजस्थान सीमा पर) – 134 फुट
➤ इन्दिरा गांधी फीडर की गहराई – 21 फुट
योजना को दो चरणों में बांटा गया है।
प्रथम चरण में 204 किलोमीटर लम्बी इन्दिरा गांधी फीड़र व मसीतावाली हैड से पूगल हैड तक 189 किलोमीटर लम्बी मुख्य नहर तथा उससे सम्बन्धित वितरण प्रणाली (साहबा लिफ्ट नहर प्रणाली के अतिरिक्त) सम्मिलित है।
इस चरण की कंवरसेन लिफ्ट नहर के अतिरिक्त शेष नहरों के रखरखाव व संचालन का दायित्व जल संसाधन विभाग को सौंपा जा चुका है।
द्वितीय चरण में इन्दिरा गाॅंधी नहर के 189 कि.मी. से आगे 445 कि.मी. तक (कुल 256 कि.मी.) का सम्पूर्ण निर्माण कार्य (साहबा लिफ्ट नहर प्रणाली सहित) शामिल है।
इन्दिरा गांधी नहर परियोजना में स्काडा सिस्टम स्थापित किया गया है जिसके अन्तर्गत इन्दिरा गांधी फीडर, मुख्य नहर, शाखाओं के प्रमुख स्थानों पर अल्ट्रासोनिक उपकरणों द्वारा नहरों में पानी के प्रवाह का आंकलन कर वी-सैट संचार प्रणाली द्वारा माॅनीटरिंग स्टेशनों तथा इन्टरनेट पर उपलब्ध कराया जाता है।
परियोजना के अन्तर्गत 1200 क्यूसेक पानी केवल पेयजल, उद्योगों, सेना व ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आरक्षित किया गया है।
वर्ष 1958 में इस योजना को शीघ्रता व कुशलता से क्रियान्वित करने के लिए एक बोर्ड गठित किया गया था, जिसकी देखरेख में इस योजना के समस्त निर्माण कार्यो का संचालन होता है।
काम के नोट्स: