राजस्थान की प्रमुख विभूतियां (भाग—3)
बलवंत सिंह मेहता
उदयपुर में आठ फरवरी 1900 को जन्मे बलवंत सिंह मेहता ने राजस्थान की सामाजिक एवं स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वह सन 1915 से राजनीतिक जाग्रति के प्रेरक, प्रताप सभा के संचालक भी रहे। सन् 1938 में प्रजामंडल के प्रथम अध्यक्ष रहे।
भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आजादी के बाद संविधान निमात्री सभा के सदस्य भी रहे।
भारत सेवक समाज की अध्यक्षता की और 1943 में उदयुपर में वनवासी छात्रावास की स्थापना की। इनकी मृत्यू 2003 में हुई।
जुगल किशोर चतुर्वेदी
मथुरा के सौंख ग्राम में आठ नवंबर 1904 को जन्म जुगल किशोर चतुर्वेदी जयपुर के महाराजा कालेज में शिक्षा प्राप्त करने के बाद यहीं के होकर रह गए।
वह रेवाड़ी के अहीर स्कूल में हिंदी भाषा के अध्यापक रहे और प्रजामंडल की मान्यता के लिएभरतपुर में हुए सत्याग्रह में सक्रिय भूमिका निभाई।
सन 1940 में भरतपुर नगरपालिका के सदस्य चुने गए भारत छोड़ों आंदोलन में सक्रिय रहे और फिर मस्त्य संघ की स्थापना पर उपप्रधानमंत्री चुने गए।
जयनाराण व्यास मंत्रिमंडल में मंत्री रहे।
गणेश लाल व्यास
गणेश लाल व्यास का जन्म 21 मार्च 1907 में हुआ।
वह गरीबों, किसानों व मजदूरों की विभिन्न मांगों को लेकर संघर्ष करते रहे।
मारवाड़ के लोक परिषद के आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई। मारवाड़ यूथ लीग की स्थापना में जयनारायणव्यास का सहयोग किया।
इनकी मृत्यू 29 अक्टूबर 196 5 को हुई।
बालमुकुंद बिस्सा
जोधपुर के डीडवाना तहसील के पीलवा ग्राम में बालमुकुंद का जन्म हुआ। वह स्वदेशी आंदलन में सक्रिय रहे।
सन 1934 में राजस्थान चरखा संघ की एजंसी लाकर जोधपुर में खादी भंडार की स्थापना की।
भारत छोड़ों आदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। नौ जून 1942 में जेल गए, जहां भूख हड़ताल के दौरान उनकी मौत हो गई।
काम के नोट्स: