राजस्थान की प्रमुख विभूतियां (भाग—4)
सूरज प्रकाश
सूरज प्रकाश का उपनाम पापा था।
उनका जन्म जोधपुर में 20 अक्टूबर 1920 में हुआ।
वे सन 1947 मे कम्यूनिस्ट पार्टी के सदस्य बने।
उन्होने लोकनायक जयनारायण व्यास के साथ अखिल भारतीय देवी राय लोक परिषद के कार्यलय मंत्री का पदभार ग्रहण किया।
1942 के आंदोलन में राजकीय सेवा से इस्तीफा देकर सक्रिय हुए और सामंतवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे।
1951 से 1954 तक कयुनिस्ट पार्टी के मुखपत्र नया राजस्थान के संपादक थे।
उनका जन्म जोधपुर में 20 अक्टूबर 1920 में हुआ।
वे सन 1947 मे कम्यूनिस्ट पार्टी के सदस्य बने।
उन्होने लोकनायक जयनारायण व्यास के साथ अखिल भारतीय देवी राय लोक परिषद के कार्यलय मंत्री का पदभार ग्रहण किया।
1942 के आंदोलन में राजकीय सेवा से इस्तीफा देकर सक्रिय हुए और सामंतवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे।
1951 से 1954 तक कयुनिस्ट पार्टी के मुखपत्र नया राजस्थान के संपादक थे।
केसरी सिंह बारहट
कवि केसरी सिंह बारहठ का जन्म 21 नवबर 18 72 में देवपुरा रियासत के शाहपुरा में हुआ।
उन्होंने बांगला, मराठी, गुजराती आदि भाषाओँ के साथ इतिहास, दर्शन:भारतीय और यूरोपीय, मनोविज्ञान, खगोलशास्त्र,योतिष का अध्ययन कर प्रमाणिक विद्वत्ता हासिल की।
डिंगल- पिंगल भाषा की काव्यसर्जना में बड़ा योगदान दिया। शिक्षा के माध्यम से केसरी सिंह ने सुप्त छात्र धर्म को जागृत करने का कार्य किया।
सामाजिक और राजनैतिक क्राति में विशेष योगदान दिया। उन्नीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में ही युवा केसरी सिंह का पक्का विश्वास था कि आजादी सशस्त्र क्रांति के माध्यम से ही संभव है।
इन पर राजद्रोह का मुकदमा भी चला, लेकिन आरोप साबित नहीं हो पाया। सन 1920- 21 में सेठ जमनालाल बजाज द्वारा आमंत्रित करने पर केसरी सिंह सपरिवार वर्धा चले गए।
क्रान्तिकारी कवि केसरी सिंह ने 14 अगस्त 1941 को अंतिम सांस ली।
उन्होंने बांगला, मराठी, गुजराती आदि भाषाओँ के साथ इतिहास, दर्शन:भारतीय और यूरोपीय, मनोविज्ञान, खगोलशास्त्र,योतिष का अध्ययन कर प्रमाणिक विद्वत्ता हासिल की।
डिंगल- पिंगल भाषा की काव्यसर्जना में बड़ा योगदान दिया। शिक्षा के माध्यम से केसरी सिंह ने सुप्त छात्र धर्म को जागृत करने का कार्य किया।
सामाजिक और राजनैतिक क्राति में विशेष योगदान दिया। उन्नीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में ही युवा केसरी सिंह का पक्का विश्वास था कि आजादी सशस्त्र क्रांति के माध्यम से ही संभव है।
इन पर राजद्रोह का मुकदमा भी चला, लेकिन आरोप साबित नहीं हो पाया। सन 1920- 21 में सेठ जमनालाल बजाज द्वारा आमंत्रित करने पर केसरी सिंह सपरिवार वर्धा चले गए।
क्रान्तिकारी कवि केसरी सिंह ने 14 अगस्त 1941 को अंतिम सांस ली।
अर्जुन लाल सेठी
अर्जुन लाल सेठी का जन्म जयपुर में 9 सितंबर 1880 में हुआ।
उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा को अस्वीकार कर चौमूं के ठाकुर देवी सिंह के निजी सचिव बन गए और आंदोलन के समय राजस्थान में सशस्त्र क्रांति में महत्वूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होने जयपुर में 1907 में वर्दमान जैन विद्यालय की स्थापना की। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े और हिंदू मुस्लिम एकता के लिए ताउम्र संघर्ष करते रहे।
उनकी मृत्यू 23 दिसंबर 1941 को अजमेर के वाजा की दरगाह में हुई। अंतिम समय वह दरगाह में मुस्लिम बाों को अरबी-फारसी की शिक्षा दे रहे थे।
उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा को अस्वीकार कर चौमूं के ठाकुर देवी सिंह के निजी सचिव बन गए और आंदोलन के समय राजस्थान में सशस्त्र क्रांति में महत्वूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होने जयपुर में 1907 में वर्दमान जैन विद्यालय की स्थापना की। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े और हिंदू मुस्लिम एकता के लिए ताउम्र संघर्ष करते रहे।
उनकी मृत्यू 23 दिसंबर 1941 को अजमेर के वाजा की दरगाह में हुई। अंतिम समय वह दरगाह में मुस्लिम बाों को अरबी-फारसी की शिक्षा दे रहे थे।
जमनालाल बजाज
जमनालाल बजाज का जन्म 4 नवंबर 1889 को हुआ।
इनकी प्रेरणा से जयपुर प्रजामंडल का आगमन हुआ। महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।
हरिजन उत्थान के लिए सक्रिय रहे। अंग्रेजो की ओर से मिली उपाधि रायबहादुर को लौटा दिया।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं को आर्थिक सहायता देकर उन्हें जीवित रखा और स्वतंत्रता आंदोलन को सक्रिय किया।
इनकी मृत्यू 11 फरवरी 1942 को हुई।
काम के नोट्स
राजस्थान के राज्यपाल
इनकी प्रेरणा से जयपुर प्रजामंडल का आगमन हुआ। महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।
हरिजन उत्थान के लिए सक्रिय रहे। अंग्रेजो की ओर से मिली उपाधि रायबहादुर को लौटा दिया।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं को आर्थिक सहायता देकर उन्हें जीवित रखा और स्वतंत्रता आंदोलन को सक्रिय किया।
इनकी मृत्यू 11 फरवरी 1942 को हुई।
काम के नोट्स
राजस्थान के राज्यपाल