Author name: Ras Notes

Various Fairs and Festivals of Alwar

अन्य प्रमुख मेले  अलवर जिले में डहरा शाहपुरा में शिवरात्रि को चूडसिद्ध का मेला, बानसूर में चैत्रशुक्ला 12 को गिरधारीदास का मेला, चैत्र शुक्ला 13 को हाजीपुर में​ किले वाले हनुमानजी का मेला, चैत्र शुक्ला 14 को हरसोरा में हनुमानजी का मेला, चैत्र कृष्णा अष्ठमी को बिलारी माता का मेला सहित शेरपुर में लाल दास, […]

Various Fairs and Festivals of Alwar Read More »

Fairs and Festivals of Alwar: Jagannath G Rathyatra and Mela

जगन्नाथ जी का मेला एवं रथयात्रा  अलवर के पास रूपवास में श्री जगन्नाथ महाराज का लक्खी मेला आषाढ़ सुदी अष्टमी से तेरस तक लगता है। इस मेले के शुभारम्भ पर सीतारामजी की सवारी रूपवास पहुंचती है, जब​कि जगन्नाथ जी महाराज की रथ यात्रा शहर के सुभाष चौक स्थित जगन्नाथ जी मंदिर से निकाली जाती है।

Fairs and Festivals of Alwar: Jagannath G Rathyatra and Mela Read More »

Fairs and Festivals of Alwar: Pandupol Mela

पाण्डुपोल का मेला सरिस्का की बाघ परियोजना से लगभग 20 किलोमीटर उत्तर में स्थित घने जंगलों में पाण्डुपोल हनुमान जी का मनोरम स्थान स्थित है। यहां पर भादवा शुक्ला चतुर्थी व पंचमी को हनुमान जी का लक्खी मेला लगता है। इस मेले में पूरे राजस्थान के अलावा आस—पास के राज्यों से भी ढेरों श्रद्धालु आते

Fairs and Festivals of Alwar: Pandupol Mela Read More »

Fairs and Festivals of Alwar: Bhartihari Baba ka Mela

भर्तृहरि बाबा का मेला  अलवर—जयपुर मार्ग पर सरिस्का से तीन किलोमीटर पूर्व—दक्षिण दिशा में भर्तृहरि बाबा का स्थान स्थित है। यहां प्रतिवर्ष भादवा शुक्ल अष्टमी को लक्खी मेला लगता है। वैसे वर्ष में यहां दो बार मेला लगता है तथा श्रावण तथा भादवा के महीनों में अ​ष्टमी के दिन यहां मेले अपने पूरे उफान पर

Fairs and Festivals of Alwar: Bhartihari Baba ka Mela Read More »

Districts Of Rajasthan:Alwar

अलवर (Alwar) अलवर राजस्थान का एक प्रमुख जिला है। राज्य में उद्योग का यह एक प्रमुख केन्द्र है। साथ ही यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का भी हिस्सा है। अलवर का प्राचीन नाम ‘शाल्वपुर’ था। चारदीवारी और खाई से घिरे इस शहर में एक पर्वतश्रेणी की पृष्ठभूमि के सामने शंक्वाकार पहाड़ पर स्थित बाला क़िला इसकी

Districts Of Rajasthan:Alwar Read More »

Historical Places of Alwar: Narayani ji, jaisamand Bandh and Museam

अन्य दर्शनीय स्थल नारायणीजी : अलवर जिले की राजगढ़ तहसील में बरवा डूंगरी की तलहटी में स्थित इस रमणीय स्थल पर नाई समाज की कुल देवी ‘नारायणी’ माता का मन्दिर है। मन्दिर के सामने संगमरमरी पत्थरों से बना एक छोटा सा कुंड भी है। सैलानियों के आकर्षण का यह प्रमुख केन्द्र है। जयसमन्द बांध :

Historical Places of Alwar: Narayani ji, jaisamand Bandh and Museam Read More »

Historical Places of Alwar: Bhangarh Fort

भानगढ़  सन् 1631 में राजा माधोसिंह द्वारा करीब 10 हजार की आबादी की बसाई हुई यह नगरी अचानक अज्ञात कारणों से उजड़ गई। यहां पर योजनाबद्ध तरीके से निर्मित आवास, बाजार एवं कलात्मक मंदिर देखने लायक हैं। भानगढ़, राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के एक छोर पर स्थित है। यहाँ का किला बहुत

Historical Places of Alwar: Bhangarh Fort Read More »

Historical Places of Alwar: fatehganj gumbad

फतहगंज गुम्बद   अलवर रेलवे स्टेशन के पास बनी यह पांच मंजिल की यह गुम्बद अनायास ही आते जाते यात्रियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। चौकोर आधार पर बनी इस गुम्बद की हर मंजिल में चारों तरफ दरवाजे और छोटे—छोटे गवाक्ष बने हुए हैं। पहली मंजिल के दरवाजों और छतों पर सुन्दर

Historical Places of Alwar: fatehganj gumbad Read More »

Historical Places of Alwar: Moosi Maharai ki Chatri

मूसी महारानी की छतरी बाला दुर्ग के नीचे और शहर महल के पिछवाड़े सागर के दक्षिणी किनारे पर बनी यह अनूठी छतरी राजपूत स्थापत्य कला की एक अनुपम धरोहर है। एक विशाल चबूतरे पर मूसी महारानी और तत्कालीन महाराजा बख्तावर सिंह की ​स्मृति में बनी और संगमरमर के अस्सी ख्म्भों पर टिकी यह कलात्मक छतरी

Historical Places of Alwar: Moosi Maharai ki Chatri Read More »

Historical Places of Alwar: Shimla (Company Bagh)

शिमला (कंपनी बाग) अलवर के कम्पनी बाग में सन् 1885 में तत्कालीन महाराजा मंगलसिंह द्वारा निर्मित यह शिमला देशी—विदेशी पर्यटकों को तो अपनी ओर आकर्षित करता ही है, साथ ही अपनी अनूठी विशेषताओं के कारण पूरे भारत में अपना सानी नहीं रखता। जो जमीन से पच्चीस फीट गहरे तीस सौ अस्सी फीट लंबे और 288

Historical Places of Alwar: Shimla (Company Bagh) Read More »

Scroll to Top