भारत में इंटरनेट और गोपनीयता को लेकर सवाल
व्हाट्सएप्प ने हाल ही में अपनी गोपनीयता नीति में बदलाव किए। प्राइवेसी पॉलिसी में किए गए इस बदलाव को यूजर्स द्वारा मंजूर किया जाना जरूरी था, जिसकी वजह से यूजर्स डेटा का वितरण ज्यादा लचीला बन रहा था। इस नये परिवर्तन का भारी विरोध हुआ और यूरोप में व्हाट्सएप्प को यह सफाई देनी पड़ी की, उसकी यह नई प्राइवेसी पॉलिसी वहां लागू नहीं होगी।
भारत में इस दोहरे रवैये को लेकर सरकार द्वारा व्हाट्सएप्प को पत्र लिखा गया। आम आदमी के स्तर पर भी सोशल मीडिया के माध्यम से भारी विरोध हुआ। इसके बाद व्हाट्सएप्प को अखबारों में विज्ञापन और स्टेट्स अपडेट्स के माध्यम से लोगों को सफाई देनी पड़ी और कुछ समय के लिए नई प्राइवेसी पॉलिसी को आगे बढ़ा दिया गया।
क्या परिवर्तन था प्राइवेसी पॉलिसी में?
हाल ही में व्हाट्सएप्प ने अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में संशोधन कर इस बात के अधिकार प्राप्त करने की कोशिश की जिसमें वे अपने यूजर्स का डेटा समूह की अन्य कंपनियों के साथ साझा कर सकते हैं। इससे जो डेटा सिर्फ व्हाट्सएप्प तक सीमित था, उस तक दूसरी कंपनियों तक इसकी पहुंच बन रही थी। लोगों में इससे अपने गोपनीय डेटा के दुरूपयोग का भय पैदा हो रहा था। उल्लेखनीय है कि व्हाट्सएप्प को फेसबुक द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया है। इस छूट से फेसबुक से सम्बन्धित सभी कंपनीज व्हाट्सएप्प डेटा का उपयोग करने में सक्षम बन रही थी।
भारत में डेटा प्राइवेसी की स्थिति
भारत में डेटा प्राइवेसी को लेकर अभी तक बहुत कड़े प्रावधान नहीं है। ऐसे में भारत में इन कंपनीज के लिए डेटा उपयोग को लेकर प्रतिबंधों को सामना नहीं करना पड़ता है। भारत में डेटा संरक्षण को नियमित करने के लिए और इसके सम्बन्ध में उचित राय के लिए जस्टिस बीएन कृष्णा समिति का गठन किया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में निजता को मौलिक अधिकार माना है और संवेदनशील डेटा के उपयोग से पहले सहमति को अनिवार्य बनाने की सिफारिश की है।
इसी समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की थी कि देश का डेटा देश में स्थित सर्वर में ही स्टोर किया जाना चाहिए और किसी भी तरीके से इसे देश से बाहर संरक्षित करने का ऑप्शन नहीं देना चाहिए। इस समिति ने डेटा दुरूपयोग के मामले में जुर्माने का प्रावधान रखने का भी सुझाव दिया है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में दस तरह के संवेदनशील निजी डाटा की पहचान की है। इनमें जाति और जनजाति से संबंधित जानकारियां या डाटा भी शामिल है। इनके अलावा पासवर्ड, वित्तीय डाटा, स्वास्थ्य संबंधी डाटा, आधिकारिक पहचान पत्र, लोगों के निजी जीवन से जुड़े डाटा, बायोमीट्रिक व जेनेटिक डाटा, ट्रांसजेंडर स्टेट्स और धर्म व राजनीतिक झुकाव से जुड़ा डाटा भी शामिल है।
डेटा संरक्षण विधेयक 2019
केन्द्र सरकार ने व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2019 को मंत्रिमण्डलीय मंजूरी 2019 में ही प्रदान कर दी थी। इस बार के शीत सत्र में इस विधेयक के कानून बन जाने की संभावना है। श्रीकृष्ण समिति की रिपोर्ट को इस विधेयक का आधार बनाया गया है लेकिन डेटा संग्रहण के स्थानीय शर्त में इसमें कुछ छूट प्रदान की गई है। हालांकि संवेदनशील डेटा को देश में ही स्टोर करने का प्रावधान रखा गया है। इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद डेटा डिस्ट्रीब्यूशन पर लगाम लगेगी लेकिन सरकार के हस्तक्षेप भी सवाल उठाए जाने लगे हैं।