राजस्थान की प्रमुख झीलें
राजस्थान में खारे व मीठे पानी की झीलें है। खारे पानी की झीलों में नमक प्राप्त किया जाता है। वहीं मीठे पानी की झीले पेयजल व सिंचाई के काम में आती है।
खारे पानी की झीलें –
(अ) सांभर
(1) जयपुर से 65 कि.मी. दूर यह देश की खारे पानी की सबसे बड़ी झील है।
(2) समुद्री नमक के अतिरिक्त सांभर झील में ही सबसे ज्यादा नमक का उत्पादन होता है।
(3) झील का कुल क्षेत्रफल 150 वर्ग कि.मी. है। इसमें चार नदियां रूपनगढ़, खारी, खंडेला और मेढा मिलती है जो बारिश के समय झील को पानी से भर देती है।
(4) सम्पूर्ण झील का तल 20 मी. मोटी लवणयुक्त मिट्टी की तह से आवृत्त है।
(5) यहां सोडियम क्लोराइड, सोडियम सल्फेट, सोडियम कार्बोनेट और सोडियम बाइकार्बेनिट का उत्पादन होता है।
(6) उक्त लवणों का सम्पूर्ण उत्पादन हिन्दुस्तान साल्ट्स लिमिटेड अपनी इकाई सांभर साल्ट लिमिटेड द्वारा किया जाता है।
(इ) डीडवाना झील नागौर जिले में यह 4 कि.मी. लम्बाई में फैली खारे पानी की झील है जिससे नमक तैयार होता है। यहां सोडियम सल्फेट का संयंत्र भी लगा हुआ है।
(ब) पचपदरा झील
➤ बाड़मेर में स्थित इस खारे पानी की झील का क्षेत्रफल 25 वर्ग कि.मी. है।
➤ यहां उत्तम किस्म का नमक तैयार किया जाता है। जिसमें 98 प्रतिशत तक सोडियम क्लोराइड होता है।
➤ यह झील वर्षा जल पर निर्भर नहीं है।
➤ यहां खारवाल जाति के लोग मोरली झाड़ी की टहनियों से नमक बनाते है।
(स) लूणकरणसर
➤ बीकानेर में स्थित झील के पानी का उपयोग नमक बनाने में नहीं होता।
➤ खारे पानी की अन्य झीले फलौदी, कुचामन, कछोर, कावोद (जैसलमेर) रेवास में है। राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में खारे पानी की झील अधिक पाई जाती है।
➤ मीठे पानी की झीले – मीठे पानी की झीले पेयजल, सिंचाई, मत्स्य उत्पादन और पर्यटन आकर्षण का केन्द्र है।
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राज्य की प्रमुख मीठे पानी की झीले निम्नानुसार है:-
जयसमंद झील
➤ इसे ढेबर झील भी कहा जाता है।
➤ इस झील का निर्माण महाराजा जयसिंह द्वारा 1685-91 के बीच गोमती नदी पर बांध बनाकर किया गया था।
➤ झील का कुल क्षेत्रफल लगभग 55 वर्ग कि.मी. है।
➤ इस झील से सिंचाई के पानी का उपयोग करने हेतु दो नहरें श्यामपुरा व भाट बनाई गई जिनकी कुल लम्बाई 324 कि.मी. है।
➤ यह राजस्थान की सबसे बड़ी मीठे पानी की कृत्रिम झील है।
➤ पेयजल व सिंचाई के अलावा यह पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
➤ झील में बाना का भागड़ा व प्यारी टापू स्थित जहां जनजातीय लोग रहते है।
राजसमंद झील –
➤ राजसमंद जिले में स्थित इस झील का निर्माण महाराजा राजसिंह द्वारा 1662 ई. में कराया गया था।
➤ अकाल के दौरान आम जनता को राहत पहुंचाने के लिए इस झील का निर्माण कराया गया था।
➤ इसमें गोमती नदी आकर गिरती है।
➤ झील के उत्तरी किनारे पर सुन्दर घाट और नौ-चैकी है जहां संगमरमर के 25 शिलालेखों पर मेवाड़ के इतिहास का अंकन संस्कृत भाषा में किया गया है।
➤ पेयजल के अलावा सिंचाई की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
पिछोला झील –
➤ इस झील का निर्माण उदयपुर में 14वीं सदी में महाराणा लाखा के समय एक बंजारे द्वारा कराया गया था।
➤ इस झील में दो टापूओं पर जगमंदिर और जगनिवास नाम से दो महल बने हुए हैं। शहजादा खुर्रम के विद्रोही होने पर उसे यहां रखा गया था।
➤ पर्यटन व पेयजल की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
फतेह सागर झील –
➤ उदयपुर स्थित इस झील का निर्माण महाराणा फतेह सिंह द्वारा कराया गया था।
➤ इसके मध्य एक छोटा उद्यान पर्यटकों के लिए बनाया गया है जिसे नेहरू उद्यान कहते हैं।
आनासागर झील –
➤ अजमेर स्थित इस झील का निर्माण पृथ्वीराज चैहान के पितामह आनाजी ने सन् 1137 में करवाया था।
➤ यह मुगल सम्राटों के आकर्षण का केन्द्र रही तथा जहांगीर ने यहां एक उद्यान दौलत बाग (सुभाष उद्यान) बनवाया था।
➤ शाहजहां ने इसके तट पर संगमरमर की छतियों का निर्माण करवाया था जो पर्यटकों के आकर्षण की केन्द्र है।
पुष्कर –
➤ अजमेर के निकट पुष्कर में चारो ओर से पर्वतों से घिरा हुआ पुष्कर सरोवर है जो धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
➤ यहां ब्रह्माजी एवं सावित्री मंदिर है।
➤ यहां स्थित रंगजी मंदिर (बैकुण्ठ नाथ मंदिर) दक्षिण भारतीय शैली मेें बना हुआ है।
कोलायत झील
➤ बीकानेर में स्थित इस झील पर कपिल मुनि का आश्रम था। प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को यहां मेला लगता है।
राजस्थान की अन्य प्रमुख झीलें
➤ सिलिसेढ़ —अलवर
➤ नवलखा— बूंदी
➤ गैपसागर— डूंगरपुर
➤ गलता व रामगढ़ — जयपुर
➤ बालसमंद — जोधपुर
➤ कायलाना — जोधपुर
➤ फायसागर — अजमेर
➤ अनूपसागर, गजनेर, सूरसागर — बीकानेर
➤ कडाणा — बांसवाड़ा
➤ खारी, मेजा बांध — भीलवाड़ा
➤ भूपालसागर, राणा प्रताप सागर — चित्तौड़गढ़
➤ पिचियाक — जोधपुर
➤ बुझ झील, गढीसर — जैसलमेर
➤ जवाहर सागर, कोटा बैराज — कोटा
➤ नक्की झील — सिरोही
➤ उदय सागर — उदयपुर
➤ हेमाबास, जवाई, बांकली, सरदारसमंद — पाली
➤ जाखम — प्रतापगढ़
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