राजस्थान में दुर्ग स्थापत्य भाग—1
➤ राजस्थान में किले के स्थापत्य के विकास का पहला प्रमाण कालीबंगा में मिलता है।
➤ राजस्थान में चित्तौड़, आबू, कुम्भलगढ़, माण्डलगढ़ आदि स्थानों के किले प्राचीन काल में निर्मित माने जाते हैं।
➤ सैन्य दुर्ग को सभी दुर्गों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
➤ चित्तौड़ का दुर्ग प्राचीन भारत में बने सर्वश्रेष्ठ सैन्य दुर्गों में से एक माना जाता है।
➤ चितौड़गढ़ के लिए उक्ति प्रसिद्ध है— गढ़ तो चित्तौड़गढ़ बाकि सब गढ़ैया।
➤ राजपूत शासको में चौहानों ने सबसे पहले किलों का निर्माण प्रारंभ किया।
➤ अजमेर, रणथम्भौर, जालौर और नागौर में चौहान शासकों ने ही दुर्गों का निर्माण करवाया।
➤ जयपुर का आमेर दुर्ग राजपूत और मुगल कला के समावेश का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।
कौटिल्य के अनुसार दुर्गों की चार श्रेणियां होती हैं-
1. औदेक दुर्ग या जल दुर्ग
2. पार्वत दुर्ग या गिरी दुर्ग
3. धान्वन दुर्ग या मरूस्थलीय दुर्ग
4. वन दुर्ग
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➤ शुक्रनीति में दुर्गों की नौ श्रेणियों का वर्णन किया गया।
क्र.
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दुर्ग
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दुर्ग की विशेषता
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उदाहरण
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1.
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एरण दुर्ग
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खाई, कांटों तथा कठोर पत्थरों से युक्त जहां पहुँचना कठिन हो ।
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रणथम्भौर दुर्ग
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2.
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पारिख दुर्ग
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जिसके चारों ओर खाई हो
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3.
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पारिध दुर्ग
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ईट, पत्थरों से निर्मित मजबूत परकोटा
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जूनागढ़, दूदू, नागौर व लोहागढ़
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4.
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वन/ओरण दुर्ग
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चारों ओर वन से ढ़का हुआ
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सिवाणा
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5.
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धान्वन दूर्ग
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जो चारों ओर रेत के ऊंचे टीलों से घिरा हो
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जैसलमेर दुर्ग, जूनागढ़, नागौर, चौमूं का दुर्ग
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6.
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जल/ओदक दुर्ग
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पानी से घिरा हुआ
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गागरोन दुर्ग, भैंसरोडगढ़ और भटनेर दुर्ग
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7.
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गिरी दुर्ग
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एकांत में पहाड़ी पर हो तथा जल संचय प्रबंध हो
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चित्तौड़गढ़, कुम्भलगढ़, तारागढ़, मेहरानगढ़, रणथम्भौर, सिवाणा, जालौर, आमेर, दौसा का किला, कुचामन का दुर्ग
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8.
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सैन्य दुर्ग
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जिसकी व्यूह रचना चतूर वीरों के होने से अभेद्य हो
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चित्तौड़गढ़
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9.
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सहाय दूर्ग
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सदा साथ देने वाले बंधुजन जिसमें हो
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