राजस्थान के किसान आंदोलन भाग- 5
भरतपुर किसान आंदोलन
➤ भरतपुर में किसानों की दशा अच्छी थी और रियासत में 95 प्रतिशत भूमि सीधे राज्य के नियंत्रण में थी।
➤ 5 प्रतिशत भूमि राज्य से अनुदान प्राप्त छोटे जागीरदारों को माफीदारों के पास थी।
➤ भरतपुर रियासत में 5 जातियां ब्राह्मण जाट गुर्जर अहीर व मेव सामान्य हैसियत रखते थे।
➤ भरतपुर राज्य में खालसा भूमि के अंतर्गत लंबरदार व पटेल व्यवस्था काम करती थी।
➤ इस व्यवस्था में लंबरदार व पटेल भू राजस्व की वसूली के लिए जिम्मेदार थे।
➤ भरतपुर राज्य में 1931 में नया भूमि बंदोबस्त लागू किया गया।
➤ इस नए भूमि बंदोबस्त के कारण भू राजस्व में वृद्धि हो गई।
➤ भू राजस्व अधिकारी लंबरदारों ने इस बढ़े हुए भू राजस्व के विरोध में 1931 में आंदोलन शुरु किया।
➤ नये बंदोबस्त से किसानों में असंतोष पैदा कर दिया।
➤ लंबरदार व पटेलों को भू राजस्व वसूली में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था।
➤ इस कारण लंबरदार एवं पटेल बढ़े हुए राजस्व के मुददे के विरुद्ध लड़ने में किसानों के साथ हो गए।
➤ 23 नवम्बर 1931 को भोजी लंबरदार के नेतृत्व में 500 किसान भरतपुर में एकत्रित हुए।
➤ भोजी लंबरदार को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के साथ 1931 में ही यह आंदोलन समाप्त हो गया।
आंदोलन का नाम
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संगठन
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बेगूं किसान आंदोलन
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राजस्थान सेवा संघ
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मारवाड़ किसान आंदोलन
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मारवाड़ हितकारिणी सभा
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बीकानेर किसान आंदोलन
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जमींदार संघ
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बूंदी किसान आंदोलन
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राजस्थान सेवा संघ
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अलवर भरतपुर मेव आंदोलन
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अंजुमन खादिमुल इस्लाम
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अलवर भरतपुर मेव आंदोलन
➤ अलवर—भरतपुर में रहने वाली मेव जाति का पहला आंदोलन 1921 में प्रारंभ हुआ। इनके रहवास क्षेत्र को मेवात कहा जाता है।
➤ अलवर भरतपुर में आंदोलन की शुरुआत 1932 में हुई।
➤ मेवो ने आंदोलन के प्रारंभ से ही गुरिल्ला युद्ध आरंभ कर दिया।
➤ इस आंदोलन का नेतृत्व डॉक्टर मोहम्मद अली ने किया।
➤ अलवर भरतपुर रियासत के मेव किसानो ने बढ़ी हुई लगान देने से इंकार कर दिया।
➤ मेवो ने बांध व सड़क बनाने घास काटने और बेगार समाप्त करने की मांगों के लिए आंदोलन किया।
➤ अलवर के मेव किसान आंदोलन का नेतृत्व गुडगांव के मेव नेता चौधरी यासिन खान ने किया।
➤ इतिहासकारों के अनुसार इस आंदोलन पर सांप्रदायिक प्रभाव भी आ गया था।
➤ अलवर भरतपुर क्षेत्र मे मोहम्मद हादी ने 1932 में अंजुमन खादिमुल इस्लाम नामक संस्था स्थापित की।
➤ इस संस्था ने मेव किसानों को संगठित किया और मेव जाति के लोगों में जन जागृति लाने का कार्य किया गया।
➤ चौधरी यासीन खान के नेतृत्व में मेव लोगों ने खरीफ फसल का लगान देना बंद कर दिया।
➤ अंजुमन खादिमुल इस्लाम संस्था ने अलवर के महाराजा से उर्दू की शिक्षा के प्रसार, मुसलमानों के लिए पृथक शिक्षण संस्थाओ की स्थापना और मस्जिदों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग की थी।
➤ दिसंबर 1932 में अलवर रियासत में मेव किसानों की परेशानी को समझने के लिए एक समिति का गठन किया।
➤ मेव किसानों ने इस समिति का बहिष्कार किया।
➤ उन्होंने 1933 में गोविंदगढ़ में सरकारी सेना पर आक्रमण कर दिया।
➤ मेवों को संतुष्ट करने के लिए राज्य काउन्सिल में एक मुस्लिम सदस्य खान बहादुर काजी अजीजुद्दीन बिलग्रामी को सम्मिलित कर लिया गया।
➤ खान बहादुर काजी अजीजुद्दीन बिलग्रामी को सम्मिलित करने के बाद भी आंदोलन समाप्त नहीं हुआ।
➤ 1933 में सेना ने नगर तहसील के सोमलाकला व झीतरहेडी गांव को घेरकर बलपूर्वक राजस्व वसूल कर मेवों के बंदी अभियान को कुचल दिया।
➤ राजस्व व पुलिस प्रशासन हेतु ब्रिटिश अधिकारी नियुक्त कर दिए गए।
➤ मई 1933 में महाराजा जयसिंह को गद्दी से हटाकर राज्य से निर्वासित कर दिया गया।
➤ 1933 में राज्य द्वारा भू राजस्व संबंधी छूटों के बाद विद्रोह दब गया।
➤ खरीफ के लगान में 25 प्रतिशत और रबी के लगान 50 प्रतिशत की छूट प्रदान की गई।
➤ भरतपुर राज्य के मेवो ने भी 1933 में लगान देना बंद कर दिया।
➤ दमन के कारण यह आंदोलन असफल रहा और 1934 में मेवो को सुविधा देने के उद्देश्य से सरकार द्वारा अजीजुद्दीन बिलग्रामी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया।
➤ इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर मेवो को भू-राजस्व तथा अन्य करो में छूट के साथ-साथ सामाजिक व धार्मिक समस्याओं का समाधान भी किया गया।