राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था भाग—2
(पंच के रूप में नामांकन के लिए योग्यताएं)
➤ वह विधानसभा के सदस्यों के निर्वाचन के लिए अयोग्य न हो।
➤ उसकी आयु 21 वर्ष हो।
➤ वह किसी स्थानीय प्राधिकरण के अधीन वैतनिक या अंशकालिक रूप से पद ग्रहण नहीं किए हुए हो।
➤ उसे किसी अनैतिक अपराध के कारण सेवा से पदच्युत नहीं किया गया हो या उसके सम्बन्ध में यह घोषणा नहीं की गई हो कि वह भविष्य में किसी लोक सेवा में नियोजन के अयोग्य होगा।
➤ वह किसी पंचायतीराज संस्था में वैतनिक या लाभ के पद को धारित नहीं करता हो।
➤ वह कुष्ठ रोग, शारीरिक विकलांगता या मानसिक रोग या दोष से पीड़ित न हो।
➤ न्यायालय ने उसे किसी नैतिक अधमता वाले अपराध के लिए दोषी न ठहराया हो।
➤ वह निर्वाचन के लिए उस समय अपात्र न हो।
➤ उस पर पंचायतीराज संस्था का कोई कर या फीस बकाया न हो तथा यदि उसके लिए पंचायतीराज संस्था द्वारा नोटिस दिया गया है तो दो माह से पूर्व उसने जमा करा दिय हो।
➤ पंचायतीराज संस्था की ओर से अथवा उसके विरूद्ध उसे विधि व्यवसायी के रूप में नियुक्त नहीं किया हो।
➤ मृत्युभोज अधिनियम के तहत किसी अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया गया हो।
➤ दो से अधिक बच्चे नहीं हो।
➤ कोई भी व्यक्ति दो पंचायतीराज संस्थाओं का सदस्य नहीं हो सकेगा।
धारा 21 के अनुसार विधानसभा अथवा संसद सदस्य यदि सरपंच, प्रधान या प्रमुख निर्वाचित हो जाता है तो 14 दिन में विधानसभा या लोकसभा से त्यागपत्र देना होगा अन्यथा सरंपच/प्रधान/प्रमुख का स्थान रिक्त मान लिया जाएगा।
➤ इस धारा के द्वारा एक साथ पंचायतीराज संस्थाओं पंचायत, पंचायत समिति व जिला परिषद में से किसी एक ही संस्था का निर्वाचित सदस्य रहेगा।
➤ यदि वह दूसरी संस्था से चुनाव लड़ने पर जीत जाता है तो उसे 14 दिन में अपना पूर्व पद त्यागना पड़ेगा।
➤ पंचायतीराज संस्थाओं में इस धारा की मदद से दोहरी सदस्यता पर प्रतिबंध लगाया गया है।
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