राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था भाग—1
➤ राजस्थान में संयुक्त पंचायतीराज अध्यादेश 1948 के जरिए पंचायतों के गठन की पहल की गई।
➤ सन 1949 मे राजस्थान के निर्माण के बाद मुख्य पंचायत अधिकारी के अधीन अलग से पंचायत विभाग बनाया गया।
➤ राजस्थान पंचायत अधिनियम 1935 पारित कर 1 जनवरी, 1954 से इसे लागू किया गया।
➤ इसके माध्यम से पंचायतों का पुनर्गठन किया गया और उन इलाकों में भी पंचायत की स्थापना की गई, जहां अभी तक कोई पंचायत नहीं बनाई गई थी।
➤ संविधान के 73वे संशोधन के अनुसार राजस्थान पंचायतीराज नियम, 1996 लागू किया गया।
➤ राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 9 के तहत राज्य सरकार, राजपत्र में सूचना द्वारा किसी भी स्थानीय क्षेत्र को पंचायत सर्किल घोषित करने का अधिकार रखती है।
➤ प्रत्येक पंचायत राजपत्र में अधिसूचित नाम से एक निगमित निकाय होगी, जिसका शाश्वत उत्तराधिकार और उसकी अपनी एक सामान्य मुहर होगी।
➤ राज्य सरकार अपनी प्रेरणा से, पंचायत या पंचायत के निवासियों के निवेदन पर पंचायत या उसके किसी कार्यालय के नाम को एक माह के नोटिस पर राजपत्र में प्रकाशित कर नाम में परिवर्तन कर सकती है।
➤ पंचायत के गठन की अधिसूचना को राजपत्र में प्रकाशित कराना आवश्यक है। यदि सूचना राजपत्र में प्रकाशित नहीं होती है तो पंचायत का गठन अवैध होता है।
➤ प्रत्येक पंचायत का एक नाम होगा तथा उसे विधिक व्यक्ति के रूप में माना जाएगा।
➤ इसका अर्थ है कि कानून उस पंचायत के साथ एक व्यक्ति की ईकाई की तरह व्यवहार करेगा और उस पर उस नाम से मुकद्मा दर्ज किया जा सकेगा और वाद चलाया जा सकेगा।
➤ पंचायत को क्रय द्वारा या सामान्य तरीके से प्राप्त चल एवं अचल दोनो प्रकार की सम्पति अर्जित करने का उसे धारित करने का, प्रशासित और अन्तरित करने का अधिकार होगा।
➤ धारा 12 के तहत किसी पंचायत में एक सरपंच और वार्डों से प्रत्यक्ष प्रणाली से निर्वाचित होंगे।
➤ सरपंच के अलावा 3 हजार तक की जनसंख्या वाली ग्राम पंचायत में कम से कम 9 वार्ड मेम्बर निर्वाचित होंगे।
➤ तीन हजार या अधिक जनसंख्या वाली पंचायतों में 1 हजार की जनसंख्या या किसी भाग पर दो अतिरिक्त
सदस्य चुने जाएंगे।
➤ उदाहरण के तौर पर समझे तो यदि किसी पंचायत की जनसंख्या 4 हजार 200 है तो पहले 3 हजार पर 9, दूसरे एक हजार पर अतिरिक्त 2 पंच तथा शेष बचे 200 पर अतिरिक्त 2 यानी कुल 13 वार्ड पंच व एक सरपंच चुना जाएगा।
➤ इस अधिनियम की धारा 17 के अनुसार पंचायत का कार्यकाल उसके निर्वाचन के दिनांक से पांच वर्ष का होगा।
➤ निर्वाचन व्यवस्था का काम राज्य निर्वाचन आयोग करवाएगा।