राजस्थान का स्थापत्य भाग-8
राजस्थान के प्रमुख राजमहल एवं प्रासाद
➤ राजस्थान में राजाओं, महाराजाओं, सामन्तों, ठिकानेदारों आदि ने अपने निवास के लिए महलों का निर्माण करवाया था, उनमें कुछ नष्ट हो गये तथा कुछ स्थानों के महल सुरक्षित हैं।
➤ बैराठ, नागदा, राजोरगढ़, भीनमाल तथा जालौर आदि स्थानों के महल नष्ट हो गये हैं।
➤ जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, अलवर, कोटा, बूंदी, करौली एवं जयपुर के महल सुरक्षित हैं।
➤ मुगलों के सम्पर्क से पूर्व के राजमहल सादगीपूर्ण तथा छोटे-छोटे कमरों वाले होते थे।
➤ जब राजस्थान के राजाओं का सम्पर्क मुगलों से हुआ तब नयी विधा का प्रयोग प्रारम्भ हुआ।
➤ मुगलों से सम्पर्क के बाद ईरानी स्थापत्य की विशेषताएं जैसे महलों में जलाशय, फव्वारे, उपवन, बाग-बगीचे, तोपखाना, शास्त्रागार, गवाक्ष, झरोखे, रगंमहल आदि बनाये जाने लगे।
➤ इस समय के प्रासादों का स्थापत्य कला उत्कृष्ट है।
उदयपुर का महल
➤ उदयपुर के राजमहल के बारे में फर्ग्यूसन लिखता हैं कि राजपूताने का यह सबसे बडा़ महल है तथा लंदन के विण्डसर महल की तरह विशाल हैं।
करौली राजमहल
➤ यह महल एक विशाल परकोटे से घिरा हुआ है।
➤ इसमें भित्तिचित्रों का अच्छा अंकन है।
➤ इसमें सफेद चंदन से महकने वाले उद्यान में 50 चंदन के वृक्ष हैं।
कोटा का हवामहल
➤ यह कोटा के गढ़ के पास निर्मित हवामहल हिन्दू स्थापत्य कला का सुन्दर नमूना है।
काम के नोट्स:
राजस्थान की चित्रकला