राजस्थान का स्थापत्य भाग-7
राजस्थान के प्रमुख दुर्ग
लोहागढ़
➤ इस दुर्ग को 1733 ई. में जाट राजा सूरजमल ने बनवाया था।
➤ दुर्ग पत्थर की पक्की दीवार से घिरा हुआ है।
➤ इसके चारों ओर 100 फिट चौड़ी खाई है।
➤ खाई के बाहर मिटटी की एक ऊँची प्राचीर है।
➤ इस तरह यह दुर्ग दोहरी दीवारों से घिरा हुआ है।
➤ अहमदशाह-अब्दाली एवं जनरल लेक जैसे आक्रमणकारी भी इस दुर्ग में प्रवेश नहीं कर सके थे।
➤ दुर्ग में प्रवेश के लिए केवल दो पुल बनाये गये हैं।
इसमें एक पुल पर बना हुआ दरवाजा अष्ठ धातुओं का है।
➤ यह दरवाजा महाराजा जवाहरसिंह 1765 ई. में मुगलों को परास्त कर लाल किले से उतार कर लाये थे।
➤ इस दुर्ग के निर्माण में 8 वर्ष लगे।
➤ राजा जसंवत सिंह (1853-93) के काल तक इसका निर्माण कार्य चलता रहा।
➤ इसमें 8 विशाल बुर्जे हैं।
➤ इनमें सबसे प्रमुख जवाहर बुर्ज हैं, जो महाराजा जवाहरसिंह की दिल्ली फतह के स्मारक के रूप में बनायी गयी थी।
➤ फतेहबुर्ज अंग्रेजों पर फतह के स्मारक के रूप में 1806 ई0 में बनायी थी।
➤ यह दुर्ग स्थल दुर्गो की श्रेणी में विश्व का प्रथम दुर्ग है।
➤ दुर्ग में कई महल दर्शनीय है।
➤ 17 मार्च, 1948 को मत्स्य संघ का उदघाटन समारोह भी दुर्ग में हुआ था।
काम के नोट्स:
राजस्थान की चित्रकला