राजस्थान की प्रमुख बावड़ियां
➤ राजस्थान में बावड़ियां भी अपने स्थापत्य शिल्प के लिए जानी जाती है।
➤ बावड़ियां गहरी, चौकोर तथा कई मंजिला होती हैं।
➤ ये सामूहिक रूप से धार्मिक उत्सवों पर स्नान के लिए भी प्रयोग में आती थी।
➤ नीमराणा की बावड़ी (अलवर) का निर्माण राजा टोडरमल ने करवाया था। यह नौ मंजिला है।
➤ इसकी लम्बाई 250 फुट व चौडाई 80 फुट है।
➤ इसमें समय पर एक छोटी सैनिक टुकडी को छुपाया जा सकता था।
➤ इसी प्रकार से गंगरार (चित्तौड़) में 600 वर्ष पुरानी दो बावड़ी, बारांं में कोतवाली परिसर में एक बावड़ी, बूंदी में रानीजी की बावड़ी, गुल्ला की बावड़ी, श्याम बावड़ी, व्यास जी की बावड़ी तथा मूर्ति शिल्प कला की दृष्टि से अनुपम है।
➤ रंगमहल, (सूरतगढ़) किसी समय यौद्येय गणराज्य की राजधानी था।
➤ सिकन्दर के आक्रमण से हानि उठानी पड़ी, उसके बाद हूणों के आक्रमण से रंगमहल पूरी तरह नष्ट हो गया।
➤ उत्खन्न में यहाँ से एक प्राचीन बावड़ी प्राप्त हुई हैं जिसमें ढाई फुट लम्बी तथा ढाई फुट चौड़ी ईटें लगी हैं।
➤ बावड़ी इस बात का प्रतीक है कि शको के भारत आगमन के बाद भी रंगमहल सुरक्षित था।
➤ क्योंकि बावड़ी बनाने की कला शक अपने साथ भारत लाये थे।
➤ रेवासा (सीकर) में भी दो बावड़ियाँ दर्शनीय हैं।
इनकों परम्परागत जल सरंक्षण के रूप में काम लिया जा सकता है।
काम के नोटस
राजस्थान में जौहर और शाके