➤ राजस्थान में सेठ-साहूकारों तथा धन्ना सेठों ने अपने निवास के लिए भव्य व विशाल हवेलियों का निर्माण करवाया।
➤ इनके द्वारों पर कलात्मक गवाक्ष, बडा़ चैक, लम्बी पोल,चौबारे और बगल में कमरे होते हैं।
➤ ये हवेलियाँ कई मंजिली तथा दो-दो चोक वाली होती हैं।
➤ शेखावटी, ढूढाढ़, मारवाड़ तथा मेवाड़ राज्यों की हवेलियाँ स्थापत्य की दृष्टि से भिन्नता लिए हुए है।
➤ ये राजस्थान की विरासत में अहम भूमिका निभा रही है।
➤ इनकी स्थापत्य कला प्रदेश का प्रतिनिधित्व करती है।
➤ राजस्थान सरकार भी, 1991 की भारत सरकार की हवेली होटल हेरिटेज की तर्ज पर प्राचीन हवेलियों को हेरिटेज होटल का दर्जा दे रही है।
➤ इससे राजस्थान की धरोहर के रूप में हवेलियों की पहचान बन रही है।
➤ शेखावटी क्षेत्र की हवेलियाँ अधिक भव्य व कलात्मक हैं।
➤ जयपुर, रामगढ़, नवलगढ़,फतेहपुर, मुकुंदगढ़, मण्डावा, पिलानी, सरदार शहर, रतनगढ़, इत्यादि शहरों व कस्बों में खडी़ विशाल हवेलियाँ स्थापत्य शिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।
➤ जैसलमेर की सालमसिंह की हवेली, नथमल की हवेली और पटवों की हवेली पत्थरों की जालीदार कटाई के कारण विश्व प्रसिद्ध है।
➤ करौली, भरपुर, कोटा में स्थित हवेलियों का कला पक्ष देखते ही बनता है।
➤ जोधपुर में हवेलियाँ अधिकांशतः सूनी पडी़ है।
➤ इसी तरह लक्ष्मणगढ़-शेखावाडी़ (सीकर) की भी अधिकां श हवेलियों के ताले लगे हैं जो अर्से से बन्द पड़ी हैं।
➤ राजस्थान सरकार की प्रेरणा से अब इन मध्यकालीन राजस्थानी हवेलियों का जीर्णोद्धार एवं भवन हिस्सों की मरम्मत की जा रही है।
➤ इससे राजस्थान की समृद्ध विरासत को बचाया जा सकता है।
➤ जयपुर शहर (हल्दियों का रास्ता) मे 1775 ई. में बनी हवेली सलीम-मंजिल इसी प्रकार हेरिटेज हवेली का रूप प्राप्त कर चुकी है।
➤ जर्मन पत्रकारों ने 30 नवम्बर, 2010 को जयपुर दरबार के शाही हकीम मोहम्मद सलीम खाँ के वंशज नसीमुद्दीन खाँ प्यारे मियां को हवेली की सार-संभाल अच्छे ढंग से करने पर बधाई दी।