Weekly Top Topic: hindu succession act in hindi | rasnotes.com

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वीकली टॉप टॉपिक: हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 

(परीक्षा उपयोगी तथ्य)


हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 को लेकर यह स्पष्ट  किया कि इस अधिनियम के लागू होने से पहले हिस्सेदार की मौत होने पर भी बेटी का पैतृक संपत्ति पर अधिकार होगा। इससे उन बेटियों को भी पैतृक संपति में अधिकार प्राप्त हो जायेगा जिनके पिता की मृत्यु 2005 या इससे पहले हो गई है। 

हिंदू धर्म में पैतृक संपति और पिता की संपत्ति में संतानों तथा उचित हिस्सेदारों में बंटवारे को लेकर सबसे पहले 1956 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम पारित किया गया। इससे हिंदू परिवारों जिनमें बौद्ध, जैन और सिख भी शामिल है की महिलाओं को विरासत में मिलने वाले संपति में उत्तराधिकार को मान्यता प्रदान की गई। मुस्लिम, ईसाई, पारसी या यहूदी धर्मावलम्बियों पर यह कानून लागू नहीं होता है।

वर्ष 2005 में विधि आयोग की 174वीं रिपोर्ट की सिफारिश पर हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन करते हुये बेटी को भी विरासत में मिलने वाली सपंति में कोपार्सनरी यानी सहदायिकी बनाया गया। इन संशोधनों के माध्यम से बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार देकर हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 6 में निहित भेदभाव को दूर किया गया था ।

पैतृक संपति और स्वअर्जित संपति में अंतर 


किसी पुरुष को अपने परिवार से विरासत में या उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति को पैतृक संपत्ति कहा जाता है। जबकि किसी व्यक्ति द्वारा अपने प्रयासों से अर्जित या कमाई गई संपत्ति को स्वअर्जित संपति कहा जाता है। पैतृक संपति में पुरूष की संतान अपने आप सहभागी हो जाती है जबकि स्वअर्जित संपति में व्यक्ति जिसे चाहे उसे अपना उत्तराधिकारी बना सकता है। 

क्या होता है मिताक्षरा और दायभाग?


हिंदू उत्तराधिकार कानून दो हिन्दू परम्पराओं के आधार पर लागू किया गया है। इन्हें दायभाग और मिताक्षरा कहा जाता है। दायभाग पद्धति बंगाल और असम में प्रयोग में लाई जाती है। इसके प्रवर्तक जीमूतवाहन है। इस शब्द का अर्थ ही है पैतृक संपत्ति का विभाजन। मिताक्षरा पद्धति पूरे भारत में उपयोग में लाई जाती है। 

मिताक्षरा पद की उत्पत्ति याज्ञवल्क्य स्मृति पर विज्ञानेश्वर द्वारा लिखित एक टीका के नाम से हुई है। इसकी पांच उपशाखायें हैं जिन्हें बनारस शाखा, मिथिला शाखा, मद्रास शाखा, बम्बई शाखा और पंजाब शाखा कहा जाता है। मिताक्षरा पद्धति ही महिला को पूर्ण उत्तराधिकारी नहीं मानता है। इसी शाखा में संशोधन कर पुत्री को कोपार्सनरी बनाया गया है।

करेंट अफेयर्स सामान्य ज्ञान:


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