राजस्थान का पूर्वी मैदान- परीक्षापयोगी तथ्य
(1) यह क्षेत्र माही, चम्बल, बनास, बाणगंगा व उसकी सहायक नदियों द्वारा निर्मित है जो गंगा के मैदान का ही हिस्सा है।
(2) यह राज्य के लगभग 23 प्रतिशत हिस्से में फैला हुआ है।
(3) इस क्षेत्र में चंबल नदी के आसपास का क्षेत्र नाली अपरदन के कारण अत्यधिक उबड़ खाबड़ हो गया है। जिसे चंबल के बीहड़ या डांग या उत्खात भूमि (BAD LAND TOPOGRAPHY) के नाम से जाना जाता है। ये बीहड़ चंबल नदी के किनारे कोटा से लेकर धौलपुर तक विस्तृत है। चंबल मैदान में काली-जलौढ़ मिट्टी पाई जाती है।
(4) यह राजस्थान का सर्वाधिक उपजाऊ क्षेत्र है। इस कारण यहां राज्य का सर्वाधिक जन घनत्व है। राज्य की 40 % जनसंख्या इसी क्षेत्र में निवास करती है।
(5) राजस्थान के दक्षिण भाग में बाॅसवाड़ा व प्रतापगढ़ जिलो में माही व उसकी सहायक नदियोें द्वारा बनाया गया मैदान क्षेत्र है जिसे माही का मैदान कहा जाता है।
इस मैदानी क्षेत्र में छप्पन गांवों एवं छप्पन नदी नालों का समूह है जिसे ‘छप्पन का मैदान‘ कहा जाता है। इस क्षेत्र में मक्का (माही कंचन, माही धवल) और चावल (माही सुगन्धा) की फसले होती है।
बांसवाड़ा व डुंगरपुर के पहाडी भू-भाग व विच्छेदित मैदान को स्थानीय भाषा में बागड़ कहा जाता है।
(क) दक्षिण-पूर्वी पठार या हाड़ौती का पठार:-
(1) राजस्थान के दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में प्राचीन काल में हाड़ा वंशी राजाओं का शासन होने के कारण इस क्षेत्र को हाड़ौती कहा जाता है।
(2) राज्य के लगभग 7 प्रतिशत क्षेत्र में यह फैला हुआ है।
(3) इस पठारी क्षेत्र की अधिकांश मिट्टी ज्वालामुखी लावा निर्मित मध्यम काली है जो काफी उपजाऊ मिट्टी है।
(4) उडिया सिरोही आबू, भोराट, उदयपुर, मेसा चितौड़गढ़, ऊपरमाल चितौड़-भीलवाड़ा और लसाडिया राजस्थान में स्थित अन्य पठार है।
(5) भैंसरोडगढ़ व बिजौलिया के बीच के पठारी भाग को ऊपरमल कहा जाता है।
(6) हाडौती का पठारी भाग दो अलग-अलग भागो में बंटा हुआ है जिन्हें विन्ध्या स्कार्पलैण्ड और दक्षिण लावा पठार कहतें है।
(7) कपास अफिम और तम्बाकू की फसलें इस क्षेत्र में की जाती है।
(8) ये पठार धौलपुर के कुछ क्षेत्रों में भी फैले हुए है जिसमें इमारती पत्थर व चैके प्राप्त होतें है।
(9) यह प्रायद्वीपीय भाग आगे चलकर मालवा के हाडौती के बीच स्थित है। इसका विस्तार चितौड़गढ़ भीलवाड़ा, बूंदी, सवाईमाधोपुर,करौली व धौलपुर जिले में है।
1.राजस्थान 23‘3’ से 30’12’ उत्तरी अक्षांश के मध्य भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित है। अरावली की स्थिति व राज्य का क्षेत्रफल भी जलवायु परिस्थितियों का निर्धारण करतें है।
2.राज्य में पांच प्रकार की जलवायु परिस्थितिया पाई जाती है। अधिकांश राजस्थान शीतोषण जलवायु कटिबंध में आता है। बांसवाड़ा उष्ण जलवायु क्षेत्र है।
3.राज्य के पश्चिम में लगभग 61 प्रतिशत भाग में शुष्क और अर्धशुष्क मरूस्थलीय जलवायु है।
4.अरावली के पूर्वं में जयपुर एवं उत्तरी-पुर्वी जिलों में उपआर्द्ध् जलवायु, सवाईमाधोपुर से उदयपुर तक आर्द्र जलवायु तथा दक्षिण में बांसवाड़ा एवं दक्षिण-पूर्व के झालावाड़ में अति आर्द्र जलवायु पाई जाती है। राजस्थान भारत के अन्य प्रदेशो की तुलना में शुष्क है।
5.राज्य की औसत वार्षिक वर्षा लगभग 57.51 से.मी. है।
6.जलवायु की विषमता राज्य की प्रमुख विशेषता है।
काम के नोट्स: