तथ्य याद करने की 4 वैज्ञानिक विधियां करें डाउनलोड
सीखना या याद करना एक सतत प्रक्रिया है जो जन्म से मृत्यु तक हम सबमें मौजूद है। एक व्यक्ति विभिन्न तथ्यों, अवधारणाओं, विभिन्न माध्यमों के माध्यम से याद रखना सीखता है. हरेक व्यक्ति का चीजों को याद रखने का अपना तरीका होता है जो दूसरे से भिन्न होता है. हममें से ज्यादातर लोग कभी इस बात पर ध्यान ही नहीं देते की कोई चीज हम क्यों याद रख लेते हैं और कुछ चीजों को क्यों हम तुरंत भूल जाते हैं. अगर हम अपने व्यक्तित्व में छुपी इस बात को समझ लेते हैं तो कुछ भी याद करना और याद रखना हमारे लिए चुटकियों का काम बन जाएगा। जब हम किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हों तब याद करने का तरीका निर्धारित करना और भी जरूरी हो जाता है. यहां हम याद करने के तरीकों के वैज्ञानिक पद्धतियों के बारे में बता रहे हैं.
याद करने की वैज्ञानितक पद्धतियां1. अवलोकन द्वारा याद करना:
यह सीखने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। हर इंसान अवलोकन के माध्यम से विभिन्न चीजों को सीखता है यहां अवलोकन के द्वारा, इसका अर्थ यह नहीं कि हम केवल एक चीज़ को देख रहे हैं बल्कि यह याद करने के लिए देखने या देखे जाने के कार्य की बात करता है। अवलोकन प्रक्रिया में, हम केवल आँखों को देखने में नहीं देखते हैं, लेकिन हम अन्य अंगों की मदद भी सुनते हैं, चखने और छूने के लिए करते हैं। एक व्यक्ति एक घटना, चीज इत्यादि को देखता है जब वह इन में रूचि रखता है। तो हमें सबसे पहले इन चीजों में बच्चे की तरह दिलचस्पी लेने की कोशिश करनी चाहिए। किसी तथ्य को जानने और समझने का जितना बड़ा आवेग होगा वह आपके दिमाग में उतनी ही ज्यादा जगह बनाएगी। जैसे विज्ञान में मॉडल के माध्यम से तथ्यों को समझाने की कोशिश की जाती है और जिन लोगों की पिक्चर मेमोरी अच्छी होती है वे तस्वीर को याद करके उनसे जुड़े तथ्य लंबे समय तक याद रख लेते हैं। आपकी पिक्चर मेमोरी कैसी ही इसकी जांच करना बहुत आसान है. इसके लिए आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है. आप अपनी किताब में राजस्थान के नक्शे को खोल लीजिए और उसे 10 मिनट तक देखते रहिए और यह याद रखने की कोशिश कीजिए कौनसा जिला किस जगह पर स्थित है. अब खाली नक्शे में जिलों को अंकित करने की कोशिश कीजिए अगर आपने पचास प्रतिशत से कम जिले याद रखे हैं तो आपकी पिक्चर मेमोरी कुछ खास नहीं है और कहीं आपने 70 प्रतिशत से ज्यादा जिले याद रखे हैं तो आपको याद करने के इस तरीके को अपनाना चाहिए। अब इस पर बात करते हैं कि पिक्चर मेमोरी को किस तरह तेज बनाया जा सकता है. इसके लिए आपको पिक्चर को एक लॉजिक के साथ याद करना चाहिए. चलिए अब प्रयोग एक बार फिर दोहराते हैं. उसी नक्शे को दोबारा खोलिए और यह देखने की कोशिश कीजिए कि जयपुर से कौनसा जिला कितनी दूर है या फिर इसी तरह का कोई और सापेक्ष प्रश्न तय कर लीजिए और अब प्रश्न का उत्तर तलाशते हुए जिलों को याद करने की कोशिश कीजिए. आप पाएंगे कि आपने पहले की तुलना में जिलों का ज्यादा आसानी से याद रखा है और लंबे समय तक आपको यह याद रहेगा.
2. अनुकरण द्वारा याद करना:
हम नकल करके बहुत कुछ सीख सकते हैं। नकल करना दूसरों के कामों को दोहराने की प्रवृत्ति है। हममें से ज्यादातर नकल करके ही चीजों को याद रखने का प्रयास करते हैं. सामान्य भाषा में इसे रटना या दोहराना कहते हैं. यह याद करने की सबसे लोकप्रिय वैज्ञानिक विधि है. हमारे पूर्वजों में नकल करने की अपूर्व क्षमता थी और यह हमें भी विरासत में मिली है. बच्चों की नकल करने की क्षमता बच्चों में बहुत महत्वपूर्ण है और हमने देखा होगा कि वे अनुकरण में प्रसन्न होते हैं। नकल तरभी काम करता है जब यह स्वेच्छा और जानबूझकर किया जाता है। नोट्स बनाना या किताब से तथ्यों को नोटबुक में कॉपी करना नकल करके याद करके सीखने का ही एक तरीका है. हमारी सलाह है कि आप चीजों को याद रखने के लिए उन्हें बार—बार लिखिए और अलग—अलग तरीकों से लिखिए. कई बच्चे अपनी किताबों को रंगीन हाइलाइटर से सजाते है और अक्सर उन्हें उलाहना सुनना पड़ता है कि वे इस तरीके से टाइमपास करते हैं लेकिन यह नकल करके याद करने की विधि है. हमारा दिमाग लगातार एक काम करके जल्दी थकता है जबकि उसी काम को भिन्न तरीकों से किया जाए तो थकान कम होती है और काम में दिलचस्पी बनी रहती है. इसलिए नकल करने के ज्यादा से ज्यादा तरीके खोजिए लेकिन यह तथ्यों को याद करने तक सीमित होना चाहिए. यहां नकल से आशय परीक्षा में अवैधानिक तरीकों के इस्तेमाल से कतई नहीं लगाया जाना चाहिए. यहां चीजों को दोहराने के विभिन्न तरीकों की बात हो रही है.
3. परीक्षण और त्रुटि से सीखना:
जैसा कि हम जानते हैं कि हर इंसान अपनी गलतियों से सीखता है जैसे छात्र अपनी त्रुटियों से सीख सकते हैं. विद्यार्थी किसी भी समस्या को हल करने का प्रयास करते हैं और कुछ त्रुटियों के कारण वे सफल नहीं होते हैं. ऐसे सवाल हमें ज्यादा समय तक याद रहते हैं जिन्हें हल करने के दौरान हम गलतियां करते हैं। प्रतियोगिता परीक्षा के दौरान टेस्ट पेपर देना इसीलिए फायदे का सौदा होता है क्योंकि टेस्ट पेपर हमें अपनी गलतियों को जानने का मौका देता है और उन गलतियों के सही उत्तर हमें याद हो जाते हैं और हमें यह भी पता चल जाता है कि हम कहां कमजोर पड़ रहे हैं. टेस्ट पेपर के साथ ज्यादा से ज्यादा प्रश्नों को हल करके भी तथ्यों को याद रखा जा सकता है.
4. अंतर्दृष्टि से सीखना:
यदि कोई व्यक्ति किसी समस्या को सुलझाने के दौरान अचानक उसके हल तक पहुंचता है, तो हम कहते हैं कि उसने अंतर्दृष्टि से सीखा है. वास्तव में व्यक्ति समस्याग्रस्त स्थिति के विभिन्न पहलुओं के बीच संबंध को समझकर समाधान तक पहुंचता है। हर छात्र के दैनिक जीवन में वह कई समस्याओं का सामना करता है और उन्हें हल करता है। इस सुलझाने की प्रक्रिया में, वे कई सिद्धांतों, प्रक्रियाओं, तथ्यों और सिद्धांतों को सीखते हैं। इन शिक्षाओं को अंतर्दृष्टि से सीखना कहा जा सकता है सीखने की अंतर्दृष्टि के दौरान छात्र स्थिति के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करता है और उनके बीच एक सार्थक संबंध स्थापित करने का प्रयास करता है। इस नई धारणा के आधार पर, वह स्थिति को परिभाषित करता है।
अंत में हम यह कह सकते हैं कि एक शिक्षार्थी याद करने के किसी भी विशिष्ट तरीके से नहीं सीखता है, लेकिन वह अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इन विधियों से किसी का भी उपयोग कर सकता है। इसलिए याद करने के लिए सबसे सकारात्मक स्थिति प्रदान करनी चाहिए ताकि हम अपनी क्षमताओं,जरूरतों और रुचियों के अनुसार इन तरीकों से सीख सकें।