राजस्थान का स्थापत्य भाग-6
राजस्थान के प्रमुख दुर्ग
मांडलगढ़ दुर्ग
➤ भीलवाडा़ जिले में स्थित यह दुर्ग गोलाई में बना हुआ है।
➤ लोक कहावतों के अनुसार माण्डिया के नाम पर इस दुर्ग का नाम माण्डलगढ़ पड़ा।
➤ इसका निर्माण शांकभरी के चैहानों ने 12 वीं शताब्दी में करवाया था।
➤ इसमें निर्मित जैन मन्दिर दर्शनीय हैं।
मेहरानगढ़
➤ पार्वत्य दुर्ग की श्रेणी का यह दुर्ग जोधपुर के उत्तर में मेहरान पहाडी़ पर स्थित है।
➤ यह दुर्ग मयुराकृति में है इसलिए यह मयूरानगढ़ कहलाता था।
➤ इसकी नीव राव जोधा ने रखी थी।
➤ कहा जाता है कि एक तान्त्रिक अनुष्ठाान के तहत दुर्ग की नीव मे राजिया नामक व्यक्ति जिन्दा चुन दिया गया था।
➤ इसके ऊपर खजाने की इमारते बनायी गयी थी। दुर्ग के चारों ओर सुदृढ़ 20 से 120 फिट ऊँची दीवारे बनाई गई जो 12 से 20 फिट चौड़ी है।
➤ इसके अन्दर एक विशाल पुस्तकालय भी हैं।
➤ दुर्ग के अन्दर मोतीमहल, फतहमहल, फूला महल तथा सिंगार महल दर्शनीय है। किले में अनेक प्राचीन तोपें है।
रणथम्भौर
➤ सवाईमाधोपुर में स्थित यह दुर्ग पार्वत्य दुर्ग हैं।
➤ इसका निर्माण 8 वीं शताब्दी में अजमेर के चौहान शासकों द्वारा हुआ।
➤ यह पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह दुर्ग रवाइयों एवं नालो से आवृत हैं।
➤ ये नाले चम्बल व बनास मे जाकर गिरते हैं। यह गिरि शिखर पर निर्मित है।
➤ इस तक पहुँचने के लिए संकरी घुमावदार घाटियों से होकर जाने वाले मार्ग से गुजरना पड़ता है।
➤ दुर्ग में 32 खम्भों की छतरी, जैन मन्दिर, लक्ष्मी मन्दिर तथा गणेश मन्दिर स्थित है।
सिवाना दुर्ग
➤ बाड़मेर जिले में स्थित यह दुर्ग परमार शासकों द्वारा 954 ई. में बनवाया गया था।
➤ यह ऊँची पहाडी़ पर निर्मित हैं।
➤ अल्लाउदीन खिलजी के समय यह दुर्ग कान्हडदेव के भतीजे सातलदेव के अधिकार में था।
➤ अल्लाउदीन ने जालौर आक्रमण के दौरान इस दुर्ग पर कडी़ मेहनत के बाद अधिकार कर लिया था।
➤ जौधपुर के राठौड़ नरेशों के लिए यह दुर्ग संकटकाल में शरण स्थली रहा है।
➤ यह राजस्थान के दुर्गो में सबसे पुराना दुर्ग है।
➤ इस पर कूमट नामक झाड़ी बहुतायत में मिलती थी, जिससे इसे कूमट दुर्ग भी कहते हैं।
काम के नोट्स:
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