राजस्थान का स्थापत्य भाग-5
राजस्थान के प्रमुख दुर्ग
जैसलमेर दुर्ग
➤ इसे सोनार गढ़ भी कहते हैं।
➤ इसका निर्माण, रावल जैसल भाटी ने, 1155 ई. में करवाया था।
➤ इसके चारों ओर विशाल मरूस्थल फैला हुआ हैं, अतः यह धान्व श्रेणी के दुर्ग में आता है।
➤ दुर्ग में स्थित रंग महल, राजमहल, मोती महल, एवं दुर्ग संग्रहालय दर्शनीय हैं।
➤ इसमे कई महल, मन्दिर तथा आवासीय भवन बने हुए है।
➤ वर्तमान में राजस्थान में दो ही दुर्ग ऐसे है जिनमें लोग निवास करते हैं।
➤ उनमें से एक चित्तौड़गढ़ का दुर्ग है तथा दुसरा जैसलमेर का दुर्ग है।
तारागढ़
➤ इसे गढ़ बीठली भी कहते हैं।
➤ अरावली की पहाड़ियों पर निर्मित तारागढ़ दुर्ग समुद्र तल से 870 मीटर तथा धरातल से 265 मीटर ऊँचाई पर स्थित है।
➤ चौहान वंशीय अजयराज ने इस दुर्ग का निर्माण करवाया था।
➤ मेवाड़ महाराणा रायमल के पुत्र पृथ्वीराज ने इस दुर्ग में कुछ महल आदि बनवाये थे जिसके कारण इसका नाम अपनी पत्नी ताराबाई के नाम पर तारागढ़ रख दिया।
➤ राजस्थान मे तारागढ़ के नाम से दो दुर्ग हैं। पहला अजमेर में तथा दुसरा दुर्ग बून्दी में है।
बीकानेर दुर्ग
➤ इसको जूनागढ़ भी कहते हैं।
➤ यह मरू दुर्ग की श्रेणी में आता हैं।
➤ इस दुर्ग की नींव महाराज रायसिंह ने 17 फरवरी 1589 ई. में रखी थी।
➤ इसको बनने में लगभग 5 वर्ष लगे थे।
➤ इसकी दीवारें 40 फिट ऊँची तथा 15 फिट चौड़ी हैं जो सुरक्षा की दृष्टि से मजबूत हैं।
➤ दुर्ग की प्राचीरे अधिकांशतः लाल पत्थर से निर्मित हैं।
➤ दुर्ग परिसर में फूलमहल शीशे का बना हुआ है जो बेजोड़ व अदभुत है।
➤ इसमें सोने की नक्काशी और चित्रकला का काम अनूठा है।
➤ इसमें महाराजा गंगासिंह का कार्यालय भी उत्कृष्ट है।
भटनेर का किला
➤ हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर स्थित यह किला लगभग 50 बीघा भूमि मे विस्तृत है।
➤ यह दुर्ग प्राचीन है। मूल दुर्ग मिटृी का था।
➤ बादमें समय-समय पर इसका पक्की ईटों से निर्माण होता रहा।
➤ इसे राजस्थान की उत्तरी सीमा का प्रहरी कहा जाता है।