डीग के जलमहल, भरतपुर
भरतपुर से 27 किलोमीटर उत्तर—पश्चिम की ओर स्थित डीग, भरतपुर के रियासती शासकों की प्राचीन राजधानी रहा है। महाराजा सूरजमल द्वारा निर्मित इन जलमहलों में युद्ध के बाद महाराजा आराम के क्षण गुजारते थे। इन जल महलों का निर्माण महाराजा सूरजमल ने 1755 से 1763 के मध्य करवाया। दो तालाबों के बीच बने डीग के प्रख्यात इन जलमहलों में गोपाल भवन, रिदेव भवन, नन्द भवन, केशव भवन तथा सावण भादों आदि ऋतुकालीन आवास गृह अपनी विशालता, उत्कृष्ट शिल्प सौन्दर्य तथा इसके बीच स्थित मुगल शैली के सुन्दर उद्यान पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र हैं। कहते हैं डीग के इन भव्य महलों के निर्माण के लिए आवश्यक धन राशि लखनऊ के नवाब गजीउद्दीन ने दी थी जिसे महाराजा सूरजमल ने उसके शत्रु मराठाओं से मुक्त करवाया था।
जलमहलों के मध्य मुगलकालीन संगमरमर का झूला भी लगा है जिस पर कभी नूरजहां झूला करती थी। आगरा लूट के दौरान वे इसे भी ले आए और प्रारंभ में वैर की फूलवाड़ी और बाद में इन जलमहलों में लगाया गया। उद्यान में लगभग एक हजार से अधिक फव्वारे चतुर्थकोणीय श्रृंंखला में लगे हैं। इनमें धातु के स्थान पर मिट्टी को पका कर तैयार किए गए पाइपों का उपयोग किया गया है। इन फव्वारों को चलाने के लिए विशाल जलाशय में पानी भरा जाता है और अलग—अलग क्षेत्रों में रंगीन फव्वारें चलाने के लिए रंगी पोटलियां लगा दी जाती हैं। जब इन अलग—अलग रंगों के फव्वारें एक साथ चलते हैं तो इन्द्रधनुषी आभा बिखर जाती है।