कामां, भरतपुर
कामां को अपने पौराणिक आख्यान के लिए जाना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपना बाल्यकाल इस क्षेत्र में बिताया था क्योंकि उनके नाना कामसेन इस क्षेत्र के राजा थे। काम्यक वन, कदम्बर वन और कामवन के नाम से पौराणिक ग्रन्थों में वर्णित कामां चौरासी क्षेत्र का एक प्रमुख वैष्णव स्थल है जिसे प्राचीनकाल में ब्रह्मपुर नाम से भी सम्बोधित किया जाता रहा है।
यहां क दर्शनीय स्थलों में पुष्टि मार्गीय वैष्णवों के आराध्य गोकुल चंदमाजी और मदनमोहन जी के दवे मन्दिर काफी प्रसिद्ध है। कामां में स्थित चौरासी खम्भों की छतरी महत्वपूर्ण स्मारक है। पुरातत्ववेताओं के अनुसार इसका निर्माण 8 वीं शताब्दी में हुआ। छतरी के खम्भों पर उत्कीर्ण की गई पच्चीकारी एवं वास्तुकला दर्शनीय है। इसके अलावा कामां में विमलकुण्ड तथा कई अन्य मंदिर व साधु सन्तों की समाधियां प्रमुख हैं।