राजस्थान के इतिहास के परीक्षापयोगी बिन्दु (भाग-15)
राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंश
राठौड़ वंश भाग—2
- चन्द्रसेन की मृत्यु के बाद अकबर ने चन्द्रसेन के बडे़ भाई मोटा राजा उदयसिंह को 1583 में मारवाड़ का राज्य सौंप दिया।
- इस प्रकार उदयसिंह मारवाड़ के प्रथम शासक थे।
- उदयसिंह ने 1587 में अपनी पुत्री मानबाई (जोधपुर की राजकुमारी होने के कारण यह जोधाबाई भी कहलाती है) का विवाह जहाँगीर के साथ कर दिया।
- यह इतिहास में ‘जगतगुसाई’ के नाम से प्रसिद्ध थी।
- इसी वंश के गजसिंह का पुत्र अमरसिंह राठौड़ राजकुमारों में अपने साहस और वीरता के लिए प्रसिद्ध है।
- आज भी इसके नाम के ‘ख्याल’ राजस्थान के गाँवों में गाये जाते हैं।
- जसवन्त सिंह ने धर्मत के युद्ध (1658) में औरंगजेब के विरुद्ध शाही सेना की ओर से भाग लिया था परन्तु शाही सेना की पराजय ने जसवन्तसिंह को युद्ध मैदान से भागने पर मजबूर कर दिया।
- जसवन्तसिंह खजुआ के युद्ध (1659) में शुजा के विरुद्ध औरंगजेब की ओर से लड़ने गया था परन्तु वह मैदान में शुजा से गुप्त संवाद कर, शुजा की ओर शामिल हो गया, जो उसके लिए अशोभनीय था।
- जसवन्तसिंह ने ‘भाषा-भूषण’ नामक ग्रंथ लिखा। मुँहणोत नैणसी उसका मंत्री था।
- नैणसी द्वारा लिखी गई ‘नैणसी री ख्यात’ तथा ‘मारवाड़ रा परगना री विगत’ राजस्थान की ऐतिहासिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति के अध्ययन के अनुपम ग्रंथ हैं।
- राठौड़ दुर्गादास ने औरंगजेब का विरोध कर जसवन्तसिंह के पुत्र अजीतसिंह को मारवाड़ का शासक बनाया।
- परन्तु अजीतसिंह ने वीर दुर्गादास को लोगों के बहकाने में आकर बिना किसी अपराध के मारवाड़ से निर्वासित कर दिया।
- दुर्गादास ने अपनी कूटनीति से औरंगजेब के पुत्र शहजादा अकबर को अपनी ओर मिला लिया था।
- उसने शहजादा अकबर के पुत्र बुलन्द अख्तर तथा पुत्री सफीयतुनिस्सा को शरण देकर तथा उनके लिए कुरान की शिक्षा व्यवस्था करके साम्प्रदायिक एकता का परिचय दिया।
- वीर दुर्गादास राठौड़ एक चमकता हुआ सितारा है, जिससे इतिहासकार जेम्स टाॅड भी प्रभावित हुये बिना नहीं रह सका। जेम्स टाॅड ने उसे ‘राठौड़ों का यूलीसैस’ कहा है।
काम के नोटस