राजस्थान के इतिहास के परीक्षापयोगी बिन्दु (भाग-16)
राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंश
राठौड़ वंश भाग—3
- जोधपुर के रावजोधा के पुत्र राव बीका ने 1488 में बीकानेर बसाकर उसे राठौड़ सत्ता का दूसरा केन्द्र बनाया।
- बीका के पुत्र राव लूणकर्ण को इतिहास में ‘कलयुग का कर्ण’ कहा गया है।
- बीकानेर के जैतसी का बाबर के पुत्र कामरान से संघर्ष हुआ, जिसमें कामरान की पराजय
- हुई।
- 1570 में अकबर द्वारा आयोजित नागौर दरबार में राव कल्याणमल ने अपने पुत्र रायसिंह के साथ भाग लिया।
- तभी से मुगल सम्राट और बीकानेर राज्य का मैत्री संबंध स्थापित हो गया। बीकानेर के नरेशों में कल्याणमल प्रथम व्यक्ति था जिसने अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली थी।
- महाराजा रायसिंह ने मुगलों की लिए गुजरात, काबुल और कंधार अभियान किये।
- रायसिंह ने बीकानेर के किले का निर्माण करवाया, जिस पर मुगल प्रभाव दिखाई देता है।
- रायसिंह स्वभाव के उदार तथा दानवीर होने की वजह से मुंशी देवीप्रसाद ने उसे ‘राजपूताने का कर्ण’ कहा है।
- बीकानेर महाराजा दलपतसिंह का आचरण जहाँगीर के अनुकूल न होने के कारण जहाँगीर ने उसे कैद कर मृत्यु दण्ड दिया था।
- महाराजा कर्णसिंह को ‘जंगलधर बादशाह’ कहा जाता था। इस उपाधि का उपयोग बीकानेर के सभी शासक करते हैं।
- महाराजा अनूपसिंह वीर, कूटनीतिज्ञ और विद्यानुरागी शासक था। उसने अनूपविवेक, कामप्रबोध, श्राद्धप्रयोग चिन्तामणि और गीतगोविन्द पर ‘अनूपोदय’ टीका लिखी थी।
- उसे संगीत से भी प्रेम था। उसने दक्षिण में रहते हुए अनेक ग्रंथों को नष्ट होने से बचाया और उन्हें खरीदकर अपने पुस्तकालय के लिए ले आया।
- कुंभा के संगीत ग्रंथों का पूरा संग्रह भी उसने एकत्र करवाया था। आज अनूप पुस्तकालय (बीकानेर) अलभ्य पुस्तकों का भण्डार है, जिसका श्रेय अनूपसिंह के विद्यानुराग को है। दक्षिण में रहते हुये उसने अनेक मूर्तियों का संग्रह किया और उन्हें नष्ट होने से बचाया। यह मूर्तियों का संग्रह बीकानेर के ‘‘तैतीस करोड़ देवताओं के मंदिर’’ में सुरक्षित है।
- किशनगढ़ में भी राठौड़ सत्ता का पृथक् केन्द्र था। यहाँ का प्रसिद्ध शासक सावन्त सिंह था, जो कृष्ण भक्त होने के कारण ‘नागरीदास’ के नाम से प्रसिद्ध था।
- इसके समय किशनगढ़ में चित्रकला का अद्भुत विकास हुआ। किशनगढ़ चित्रशैली का प्रसिद्ध चित्रकार निहालचन्द था, जिसने विश्व प्रसिद्ध ‘बनी-ठणी’ चित्र चित्रित किया।
काम के नोटस