राजस्थान के इतिहास के परीक्षापयोगी बिन्दु (भाग-14)
राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंश
राठौड़ वंश भाग—1
- राजस्थान के उत्तरी और पश्चिमी भागों में राठौड़ राज्य स्थापित थे। इनमें जोधपुर और बीकानेर के राठौड़ राजपूत प्रसिद्ध रहे हैं।
- जोधपुर राज्य का मूल पुरुष राव सीहा थे, जिसने मारवाड़ के एक छोटे भाग पर शासन किया।
- राठौड़ शासक राव जोधा ने 1459 में जोधपुर बसाकर वहाँ मेहरानगढ़ का निर्माण करवाया था।
- राव गांगा (1515-1532) ने खानवा के युद्ध में 4000 सैनिक भेजकर सांगा की मदद की थी। राव मालदेव गांगा के ज्येष्ठ पुत्र थे। वह अपने समय के एक वीर, प्रतापी, शक्ति सम्पन्न शासक था।
- उनके समय में मारवाड़ की सीमा हिण्डौन, बयाना, फतेहपुर-सीकरी और मेवाड़ की सीमा तक प्रसारित हो चुकी थी।
- मालदेव की पत्नी उमादे (जैसलमेर की राजकुमारी) इतिहास में ‘रूठी रानी’ के नाम से विख्यात है।
- मालदेव ने साहेबा के मैदान में बीकानेर के राव जैतसी को मारकर अपने साम्राज्य विस्तार की इच्छा को पूरी किया परन्तु मालदेव ने अपनी विजयों से जैसलमेर, मेवाड़ और बीकानेर से शत्रुता बढ़ाकर अपने सहयोगियों की संख्या कम कर दी।
- शेरशाह से हारने के बाद हुमायूँ मालदेव से सहायता प्राप्त करना चाहता था परन्तु वह मालदेव पर सन्देह करके अमरकोट की ओर प्रस्थान कर गया।
- मालदेव की सेना को 1544 में गिरि-सुमेल के युद्ध में शेरशाह सूरी का सामना करना
- पड़ा।
- कहा जाता है कि इस युद्ध के पूर्व शेरशाह ने चालाकी का सहारा लेते हुये मालदेव के दो सेनापति जेता और कूंपा को जाली पत्र लिखकर अपनी ओर मिलाने का ढोंग रचा था।
- इस युद्ध में स्वामिभक्त जेता और कूंपा मारे गये तथा शेरशाह की विजय हुई।
- युद्ध समाप्ति के पश्चात् शेरशाह ने कहा था ‘‘एक मुट्ठी भर बाजरा के लिए वह हिन्दुस्तान की बादशाहत खो देता।’’
- मालदेव के पुत्र चन्द्रसेन ने जो एक स्वतन्त्र प्रकृति के वीर थे, अपना अधिकांश जीवन पहाड़ों में बिताया परन्तु अकबर की आजीवन अधीनता स्वीकार नहीं की।
- महाराणा प्रताप ने जैसे अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए मुगल अधीनता स्वीकार नहीं की, उसी प्रकार चन्द्रसेन भी आजन्म अकबर से टक्कर लेते रहे।
काम के नोट्स: