Art and Culture of Rajasthn- Folksongs of Rajasthan-2

Art and Culture of Rajasthn- Folksongs of Rajasthan-2

Art and Culture of Rajasthn- Rajasthan ke lokgeet

राजस्थान में विभिन्न संस्कारों के दौरान गाये जाने वाले लोकगीत

राजस्थान में लोकगीत न सिर्फ उत्सवों और देवी—देवताओं के लिये ही गाये जाते हैं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश को ध्यान में रखकर भी ढेरों लोकगीत रचे गये हैं। इन गीतों में पारिवारिक संबंधों की व्याख्या से लेकर सामाजिक जीवन में हाने वाले विभिन्न संस्कारों को लेकर गीत गाये जाने की परम्परा है। इन विशेष गीतों को नाम भी उनके अवसर विशेष के हिसाब से दिये गये हैं। यहां हम आपको इन लोकगीतों के नाम और उनके गाये जाने के अवसर की एक सूची दे रहे हैं। इस श्रृंखला में यह दूसरी पोस्ट है। इसमें कुल तीन पोस्ट है, जिनका विवरण आपको नीचे लिंक में दिया जा रहा है।

गर्भावस्था के दौरान गाये जाने वाले गीत

नारगीः गर्भवती स्त्री द्वारा विभिन्न पदार्थ खाये जाने के दौरान यह गीत गाया जाता है।

पीपलीः गर्भवती स्त्री को विभिन्न प्रकार के पकवान खिलाने के लिये यह गीत गाया जाता है।

अजमो: यह गर्भवती महिला के आठवें माह में गाया जाने वाला मंगल लोकगीत है।

जच्चाः संतान पैदा हो जाने के बाद जब सगे-सम्बन्धी उपहार देने के लिये आते हैं तो जच्चा गीत गाया जाता है।

सूरज पूजाः बच्चा जो जाने के बाद सूर्य पूजा के दौरान गाया जाने वाला लोकगीत।

जलवाः बच्चा होने के बाद जल की पूजा करने के दौरान यह गीत गाया जाता है।

विवाह के दौरान गाये जाने वाले लोकगीत

विनायकः विवाह के दौरान गणेश जी की स्थापना करते वक्त विनायक गीत गाया जाता है।

मायराः विवाह के वक्त मामा के घर से उपहार चढ़ाते वक्त मायरा लोकगीत गाया जाता है।

बिनोलोः विवाह के समय दूल्हें के सगे-सम्बिन्धियों को आमंत्रित करते वक्त यह गीत गाया जाता है।

कस्तूरीः यह लोकगीत विवाह में विभिन्न संस्कारों जैसे तोरण, फेरा, कंवर कलेवा, विदाई और पैसारा के वक्त गाया जाता है।

सेवरोः यह लोकगीत भी विवाह के विभिन्न संस्कारों के दौरान गाया जाता है।

घोड़ीः यह राजस्थानी लोकगीत बारात के आगमन के समय गाया जाता है।

फेराः यह विवाह में फेरों के समय लड़की के विभिन्न सम्बन्धियों के दूर होने की बात कहते हुये गाया जाता है।

पेसाराः यह मंगल गीत है जो विवाह सम्पन्न होने पर गाया जाता है और इसमें नव वर वधू की मंगलकामना की प्रार्थना की जाती है।

बनीः यह दुल्हन के बालों की प्रशंसा में गाया जाने वाला लोकगीत है।

आंबो: यह लोकगीत ​दुल्हन के विदाई के समय गाया जाता है ।

झूलरिया: विवाह के अवसर पर भात भरते वक्त यह राजस्थानी लोकगीत गाया है।

फतसड़ा: शादी ब्याह में मेहमानों के आने पर उनकी प्रशंसा में यह लोकगीत गाया जाता है।

मोरिया थाईं रे थाईं: गरासिया जनजाति में बारात लेकर आये वर की प्रशंसा में यह गीत वधू के घर महिलायें गाती हैं।

देवी-देवता आधारित राजस्थानी लोकगीत


भेरूजीः भैरूजी के महिमा इस लोकगीत के माध्यम से गाई जाती है।

गगाजीः गोगाजी की महिमा इस लोकगीत के माध्यम से गाई जाती है।

भोमियाः भोमिया जी की महिमा इस राजस्थानी लोकगीत के माध्यम से गाई जाती है।

जोगीडाः भगवान राम की महिमा इस गीत के माध्यम से गाई जाती है।

दीपकः रातीजगा के दौरान गाये जाने वाले पहले गीत को दीपक कहा जाता है।

पूरवजः पूर्वजों को रातीजगा में सम्मान देने के लिये पूरवज गीत गाये जाते हैं।

कूकड़ाः रातीजगा में गाये जाने वाले आखिरी गीत को कूकड़ा कहा जाता है।

मनोरंजन प्रधान राजथानी लोकगीत


हालीः किसान खेतों पर पानी देते वक्त यह गीत गाते हैं।

वारियेः माली जाति के लोग अपनी फुलवारी में सिंचाई करते वक्त यह गीत गाते हैं।

कतारियेः अंधेरी रातों में दूभर लंबी यात्राओं में समय काटने के लिये यह लोकगीत गाये जाते थे।

घूमरः होली पर गाया जाने वाला लोकगीत।

सुअरियाः शिकार पर जाते समय गाया जाने वाला राजस्थानी लोकगीत।

आंगो मोरियो: इन लोकगीतों में पारिवारिक सुख का चित्रण मिलता है ।

औल्यूँ: यह विरह में गाया जाने वाला लोकगीत है ।

इडूणी: कुंये से पानी भरते वक्त इस गीत को महिलायें गाती हैं।

उमादे: इस लोकगीत में राजकुमारी उमादे के रूठने की कथा कही जाती है।

ढोलामारू: यह लोकगीत राजस्थान के प्रसिद्ध प्रेमियों ढोला मारू की प्रेमगाथा है। सिरोही में ढाढी जाति के लोग इस गीत को गाते हैं।

झोरावा: यह विरह का लोकगीत है। इसमें स्त्री अपने पति के विदेश जाने पर उसके वियोग में यह गीत गाती है। राजस्थान के जैसलमेर क्षेत्र में यह लोक​गीत अधिक लोकप्रिय है।
फतमल: हाड़ौती के राव फतमल के प्रेम गाथा को इस लोकगीत के माध्यम से गाया जाता है।
तेजा: तेजाजी के भजन के तौर पर यह लोकगीत खेत में काम करते हुये गाया जाता है।
मरसिया: यह मुस्लिम वर्ग से आया प्रभाव है और मर्सिया का लोकरूप है, इसमें किसी बड़े आदमी की मृत्यु पर शोकगीत गाया जाता है।

काम के नोट्स:

राजस्‍थान की चित्रकला
राजस्‍थान का मंदिर स्‍थापत्‍य
राजस्‍थान की ऐतिहासिक इमारतें
राजस्‍थान की प्रमुख बावडिया

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top