राजस्थान में सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा
राजस्थान में गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के उत्पादन को प्रोत्साहन देने का कार्य राजस्थान अक्षय ऊर्जा विकास निगम RREC द्वारा किया जाता है। राजस्थान ऊर्जा विकास अभिकरण (REDA) को राजस्थान स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड (RSPCL) में विलय करके 9 अगस्त 2002 को राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम का गठन किया गया था.
यह राज्य में गैर परम्परागत ऊर्जा को प्रोत्साहन देने के लिए भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की नोडल एजेंसी है तथा ऊर्जा संरक्षण को प्रोत्साहित करने हेतु भारत सरकार के ब्यूरो आफ एनर्जी एफीसियंसी (BEE) का राज्य में नामित अभिकरण है।
राजस्थान में सौर ऊर्जा- Solar Energy in Rajasthan
सूर्य प्रदूषण रहित ऊर्जा का असीमित स्रोत है । सौर ऊर्जा सभी प्रकार की ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत है। इसे यांत्रिक, विद्युत या रासायनिक ऊर्जा में बदला जा सकता है। पानी गर्म करने, भोजन पकाने, इमारतों को गर्म रखने, जल पम्प, ताप विद्युत ऊर्जा में सौर ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है।
राज्य में सौर विकिरण की तीव्रता लगभग 6-7 किलोवाट घण्टा/वर्ग मीटर/प्रतिदिन है एवं बहुत कम औसत वर्षा के कारण अधिकतम सौर दिवस (एक वर्ष में 325 दिवस से अधिक) के कारण राजस्थान सौर ऊर्जा की दृष्टि से समृद्ध है।सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए सभी आवश्यक परिस्थितियों की दृष्टि से सोलर एनर्जी एंटरप्राइज जोन में राज्य के जैसलमेर,जोधपुर व बारमेर जिले आते है |
देश में सौर ऊर्जा की दृष्टि से राजस्थान सर्वाधिक सम्भावनाओ वाला राज्य है तथा राज्य में जोधपुर जिला सौर ऊर्जा की दृस्टि से सर्वाधिक उपयुक्त जिला है
SEEJ- सोलर एनर्जी एन्टरप्राइज जोन ऐसा क्षेत्र है जहां सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए सभी परिस्थितियां मौजूद हैं। जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर क्षेत्र इसके अन्तर्गत आते हैं।
राज्य में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार के आंकलन के अनुसार 142 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की जा सकती है।
राज्य में सौर विकिरण की तीव्रता लगभग 6-7 किलोवाट घण्टा/वर्ग मीटर/प्रतिदिन है एवं बहुत कम औसत वर्षा के कारण अधिकतम सौर दिवस (एक वर्ष में 325 दिवस से अधिक) के कारण राजस्थान सौर ऊर्जा की दृष्टि से समृद्ध है।सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए सभी आवश्यक परिस्थितियों की दृष्टि से सोलर एनर्जी एंटरप्राइज जोन में राज्य के जैसलमेर,जोधपुर व बारमेर जिले आते है |
देश में सौर ऊर्जा की दृष्टि से राजस्थान सर्वाधिक सम्भावनाओ वाला राज्य है तथा राज्य में जोधपुर जिला सौर ऊर्जा की दृस्टि से सर्वाधिक उपयुक्त जिला है
SEEJ- सोलर एनर्जी एन्टरप्राइज जोन ऐसा क्षेत्र है जहां सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए सभी परिस्थितियां मौजूद हैं। जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर क्षेत्र इसके अन्तर्गत आते हैं।
राज्य में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार के आंकलन के अनुसार 142 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की जा सकती है।
प्रकाशवोल्टिक सेल द्वारा सौर ऊर्जा को सीधे ही विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है। इसका उपयोग सामुदायिक प्रकाश, रेडियो, टीवी, घरेलू प्रकाश में किया जाता है।
राज्य में पहला सौर ऊर्जा फ्रीज जोधपुर जिले में बालेसर उच्चीकृत प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र में लगाया गया था। जोधपुर के मथानिया में 140 मेगावाट के सौर मिश्रित चक्रीय विद्युत गृह की स्थापना की गई है। इसमें विश्व बैंक तथा जर्मनी की सहायता एजेंसी KFW सहयोग कर रही है।
राज्य में 33 KV सब स्टेशन पर उपलब्ध रिक्त/अनुपयोगी भूमि पर तथा इन स्टेशनों के समीप स्थित किसानों की अनुपयोगी भूमि पर विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना प्रक्रिया में है।
राजस्थान में सोलर पार्क कार्यक्रम- Solar Parks in Rajasthan
राजस्थान सरकार द्वारा राज्य में प्रथम सोलर पार्क भड़ला (जोधपुर) में विकसित किया गया है। जिसके तहत 75 मेगावाट क्षमता में से 65 मेगावाट का उत्पादन प्रारंभ हो गया है।
भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा राज्य में निम्न 6 सौर ऊर्जा पार्क्स SOLAR PARKS की कुल क्षमता 5410 हेतु सैद्धान्तिक स्वीकृति प्रदान की है।
राज्य में सोलर पार्को की स्थापना के लिए तीन संयुक्त उपक्रम कंपनियों का गठन किया गया है जो निम्नानुसार है
1.मेसर्स शौर्य ऊर्जा कंपनी ऑफ़ राजस्थान लिमिटेड (सुराज )
2.मेसर्स अडानी रिन्यूएबल एनर्जी पार्क राजस्थान
3.मेसर्स एसेल शौर्य ऊर्जा कंपनी ऑफ़ राजस्थान
1.मेसर्स शौर्य ऊर्जा कंपनी ऑफ़ राजस्थान लिमिटेड (सुराज )
2.मेसर्स अडानी रिन्यूएबल एनर्जी पार्क राजस्थान
3.मेसर्स एसेल शौर्य ऊर्जा कंपनी ऑफ़ राजस्थान
क. भड़ला सोलर पार्क फेज द्वितीय – 680 मेगावाट जोधपुर में राजस्थान सोलर पार्क डवलपमेंट कम्पनी जो कि RREC की सहयोगी कम्पनी है, के द्वारा विकसित किया गया है एवं समस्त 680 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं से विद्युत उत्पादन प्रारंभ हो गया है।
ख. भड़ला सोलर पार्क फेज तृतीय – 1000 मेगावाट IL &FS Energy एवं राज्य सरकार की जोइंट वेंचर कम्पनी सौर्य ऊर्जा कम्पनी द्वारा विकसित किया जा रहा है।
ग. भड़ला सोलर पार्क फेज चतुर्थ – 500 मेगावाट यह पार्क मैसर्स अडाणी रिन्यूएबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड जो कि अडानी व राज्य सरकार के मध्य जोइंट वेंचर है, के द्वारा विकसित किया जा रहा है।
घ. पोकरण-फलौदी सोलर पार्क – 750 मेगावाट – यह पार्क एसेल सौर्य ऊर्जा कम्पनी जो कि एसेल इन्फ्रा प्रोेजेक्स एवं राज्य सरकार की जोइंट वेंचर कम्पनी है, के द्वारा विकसित किया जा रहा है।
ड़. फतेहगढ़ फेज-1 बी (1500 मेगावाट) – जैसलमेर यह पार्क अडानी रिन्यूएबल एनर्जी द्वारा विकसित किया जा रहा है।
च. नोख (जैसलमेर) 90 मेगावाट – यह पार्क राजस्थान सोलर पार्क डवलपमेंट कम्पनी द्वारा विकसित किया जा रहा है।
राज्य में 33 KV सब स्टेशन पर उपलब्ध रिक्त/अनुपयोगी भूमि पर तथा इन स्टेशनों के समीप स्थित किसानों की अनुपयोगी भूमि पर विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना प्रक्रिया में है।
राज्य में 33 KV सब स्टेशन पर उपलब्ध रिक्त/अनुपयोगी भूमि पर तथा इन स्टेशनों के समीप स्थित किसानों की अनुपयोगी भूमि पर विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना प्रक्रिया में है।
राजस्थान में पवन ऊर्जा- Wind Energy in Rajasthan
भारत सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से 2022 तक 175 GW विद्युत उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इसमें से 60 GW विद्युत ऊर्जा का उत्पादन पवन ऊर्जा से होना है।
MNRE द्वारा स्वीकृत 120 मीटर ऊंचाई पर किए गए अध्ययन के अनुसार राज्य में पवन ऊर्जा की अनुमानित क्षमता 1,27,750 मेगावाट है।
राज्य में वायु का वेग 20 से 40 कि.मी. प्रति घण्टा पाया जाता है। जैसलमेर व प्रतापगढ़ जिले में पवन ऊर्जा के लिए अनुकूल परिस्थितियां पाई जाती है। भारत हेवी इलेक्ट्रीकल्स लिमिटेड (BHEC) के सहयोग से राजस्थान प्रांत की प्रथम पवन विद्युत परियोजना जैसलमेर के पास बड़ा बाग़ अमर सागर में स्थापित की गई है।
पवन ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य में सर्वाधिक कार्य सुजलॉन एनर्जी द्वारा किया गया है
राज्य के प्रमुख पवन ऊर्जा संयत्र निम्नलिखित है
जैसलमेर :अमरसागर ,सोढा बंधन, पोहरा ,आकल ,हंसुआ
प्रतापगढ़ :देवगढ़
जोधपुर :फलोदी
सीकर :हर्ष पर्वत
पवन ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य में सर्वाधिक कार्य सुजलॉन एनर्जी द्वारा किया गया है
राज्य के प्रमुख पवन ऊर्जा संयत्र निम्नलिखित है
जैसलमेर :अमरसागर ,सोढा बंधन, पोहरा ,आकल ,हंसुआ
प्रतापगढ़ :देवगढ़
जोधपुर :फलोदी
सीकर :हर्ष पर्वत
गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के विकास की दृष्टि से राज्य सरकार द्वारा राजस्थान सौर ऊर्जा नीति 2019 व राजस्थान पवन व हाइब्रिड ऊर्जा नीति 2019 दिनांक 18.12.2019 को जारी की गई है।
Main Points of Rajasthan Solar Policy 2019 and Rajasthan wind and Hybrid energy Policy 2019 – राजस्थान विंड एण्ड सोलर पाॅलिसी, 2019 के मुख्य बिन्दु
1. राजस्थान देश के अग्रणी ग्रीन एनर्जी उत्पादक राज्यों में से एक है। अपनी क्षमता में वृद्धि करने के लिए राजस्थान सरकार ने राजस्थान सौर ऊर्जा नीति 2019 और राजस्थान विंड एण्ड हाइब्रिड एनर्जी नीति, 2019 जारी की है। इस नीति के तहत वर्ष 2024-2025 तक प्रदेश में 30 हज़ार मेगावाॅट सौर ऊर्जा, 4 हज़ार मेगावाॅट पवन ऊर्जा और 3500 मेगावाॅट हाइब्रिड एनर्जी उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
2.प्रदेश के सभी जिला हैडक्वार्टर पर 300 मेगावाॅट के रूफ टाॅप प्लांट स्थापित कर उन्हें ग्रीन एनर्जी सिटी के तौर पर विकसित किया जाएगा।
3.राजस्थान में ऐसे रिन्यूएबल पावर प्रोजेक्ट को प्राथमिकता दी जाएगी जो स्टोरेज सिस्टम से लैस होंगे।
4.राज्य द्वारा पावर इवैक्यूएशन फेसेलिटीज के लिए एक माह में स्वीकृति जारी की जाएगी।
5.इलैक्ट्रीकल व्हीकल के लिए बनाए जाने वाले चार्जिंग स्टेशन्स को 50 प्रतिशत छूट पर ज़मीन आवंटित की जाएगी।
6.ट्रान्समिशन सिस्टम मज़बूत बनाने का काम राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी डवलपमेंट फण्ड के माध्यम से किया जाएगा।
7.ग्रीन एनर्जी से जुड़े कार्य के लिए लेंड कन्वर्जन की आवश्यकता नहीं रहेगी।
8.सोलर पार्क का विकास प्राइवेट डवलपर और ज्वाइंट वेंचर कंपनीज के माध्यम से किया जाएगा।
9.प्रदेश में सौर और पवन ऊर्जा के कार्यरत प्रोजेक्टस के हाईब्रिडाइजेशन को प्राथमिकता दी जाएगी।
10.पवन ऊर्जा संयंत्रों के रिपावरिंग को स्वीकृति दी जाएगी और ऐसे प्रोजेक्टस के लिए दी जाने वाली लैंड लीज़ की समयावधि प्रोजेक्ट के सामान्य जीवन से अधिक होगी।
11.पवन और सौर ऊर्जा के साथ ही हाइब्रिड प्रोजेक्टस पर लगने वाले ट्रांसमिशन और व्हीलिंग चार्जेज़ में 7 साल के लिए 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
12.स्टोरेज सिस्टम और रिपावरिंग प्रोजेक्टस पर ट्रांसमिशन और व्हीलिंग चार्जेज़ में 7 साल के लिए 75 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
13.इलेक्ट्रीकल व्हीकल चार्जिंग स्टेशन के लिए लगाए जाने वाले सोलर प्रोजेक्ट पर ट्रांसमिशन और व्हीलिंग चार्जेज़ में 10 साल के लिए 100 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
14.सौर और पवन ऊर्जा के मेन्यूफेक्चरिंग प्लांट्स पर स्टाम्प ड्यूटी में 100 प्रतिशत की छूट, इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी पर 10 साल तक 100 प्रतिशत, लैंड एलोटमेंट पर 50 प्रतिशत की छूट, स्टेट जीएसटी पर इंवेस्टमेंट सब्सिडी, रिप्स 2019 के अनुसार इंट्रेस्ट सब्सिडी और एमएसएमई पाॅलिसी, 2019 के हिसाब से छूट प्रदान की जाएगी।
काम के नोट्स: