राजस्थान का ऊर्जा परिदृश्य भाग-3
- ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोत में एक अन्य प्रमुख स्रोत बायोमास जनित ऊर्जा भी है
बायोमास ऊर्जा
- राजस्थान में बायोमास ऊर्जा के प्रमुख स्रोत सरसों की तूड़ी, विलायती बबूल (जूली फ्लोरा) व चाल की भूसी है।
- राज्य में बायोमास ऊर्जा की सर्वाधिक संभावना गंगानगर जिले में है। पदमपुर (गंगानगर) में प्रदेश का पहला बायोमास ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया है, इसके अलावा खातोली (उनियारा, टोंक), रंगपुर (कोटा), कचेला-बागसरी (जालौर) में भी बायोमास ऊर्जा संयंत्र स्थापित है। दिसम्बर 2019 तक 120.45 मेगावाट क्षमता के 13 बायोमास संयंत्र राज्य में स्थापित किये जा चुके है ।
- बायोफ्यूल/बायोडीजल को भी ऊर्जा का प्रमुख स्रोत माना जाता है। यह मुख्य रूप से जैट्रोफा (रतनजोत) से प्राप्त किया जाता है।
- राज्य में बायोडीजल रिफाइनरी कल्लडवास (उदयपुर) में स्थापित की गई है। बायोडीजल प्लांट झामर-कोटडा (उदयपुर) में लगाया गया है।
राजस्थान में ऊर्जा क्षेत्र की चुनौतियां
1. राज्य में कृषि उपभोक्ताओं को कम कीमत पर बिजली उपलब्ध कराई जाती है इसके कारण वितरण कम्पनियों पर भार बढ़ता है व उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है।
2. इस घाटे की भरपाई के लिए उद्योगों को तुलनात्मक रूप से अधिक कीमत पर बिजली उपलब्ध कराई जाती है जो औद्योगिक विकास में बाधक है।
3. उत्पादित बिजली का बड़ा अंश ट्रांसमिशन एवं वितरण के दौरान नष्ट हो जाता है। आजकल T&D Losses को AT&C (Aggregate technical & Commercial losses) कहा जाने लगा है। 2015-16 में ये लगभग 25 प्रतिशत के आस-पास थे। 2019-20 में जयपुर में 18.05 प्रतिशत अजमेर डिस्काॅम 13.52 प्रतिशत व जोधपुर डिस्काॅम में 21.37 प्रतिशत हो गई है। T&D Losses को कम करने के लिए फीडर नवीनीकरण कार्यक्रम शुरू किया गया है साथ ही मीटर बदलकर व बिजली चोरी रोकर छीजत को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं।
4. कोयले की राज्य में पर्याप्त उपलब्धता नहीं है। राज्य के बाहर से कोयला मंगवाने से लागत व समय दोनों ज्यादा लगते हैं।
विद्युत क्षेत्र से जुड़ी प्रमुख योजनाएं
उदय योजना
राज्य स्तर पर विद्युत वितरण कम्पनियों की कार्य दक्षता को बढ़ाने व घाटे की समस्या के समाधान के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 2016 में उदय योजना (उज्जवल डिस्काॅम एश्योरेंस योजना) आरंभ की गई थी। इसके अन्तर्गत डिस्काॅम के बकाया का 75 प्रतिशत राजस्थान सरकार द्वारा अधिग्रहित किया गया है। इससे डिस्काॅम को कुछ राहत अवश्य मिली लेकिन राज्य सरकार पर वित्तीय भार भी बढ़ा है।
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना
इस योजना का उद्देश्य राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत वितरण नेटवर्क को सुदृढ़ बनाना एवं ग्रामीण आबादी क्षेत्र में रहने वाले घरेलू उपभोक्ताओं को विद्युत सुविधा प्रदान करना है।
सौभाग्य योजना
शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में सभी इच्छुक परिवारों को विद्युत उपलब्ध करवाने के लिए प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) की शुरुआत 11 अक्टूबर, 2007 में शुरू की गई थी।
उजाला (उन्नत ज्योति अफोर्डेबल एलईडी फार ऑल )
ऊर्जा दक्ष उपकरणों यथा एलईडी, ट्यूबलाइट पंखों आदि को बढ़ावा देने के लिए तथा ऊर्जा दक्षता का संदेश प्रसारित करने के लिए राजस्थान सरकार, ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड (EESL) भारत सरकार द्वारा इस योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
पी.एम. कुसुम योजना
भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए सोलर पम्प और ग्रिड से जुडे सौर ऊर्जा संयंत्रों को स्थापित करने के लिए कुसुम योजना शुरू की गई है।
बंजर/अनुपयोगी भूमि पर 0.5 मेगावाट से 2 मेगावाट तक क्षमता के लघु सौर ऊर्जा संयंत्र, आफ ग्रिड पम्प सेट आवेदकों को सोलर पम्प सेट तथा ग्रिड से जुड़े 7.5 एचपी तक की क्षमता वाले कृषि पम्प सेटों को सौर ऊर्जाकृत करने का लक्ष्य इस योजना के तहत रखा गया है।
ऊर्जा क्षेत्र में निजी भागीदारी
ऊर्जा क्षेत्र में निजी भागीदारी को उत्पादन, वितरण व प्रसारण क्षेत्र में लगातार बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
400 केवी ग्रिड सब स्टेशन की दो परियोजनाएं अलवर व डीडवाना में पीपीपी मोड के अन्तर्गत विकसित की गई है। बीकानेर-सीकर एवं सूरतगढ़-बीकानेर प्रसारण लाइन का विकास भी सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत किया गया है।
राज्य सरकार विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़ाने में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित कर रही है। कुल 3742 मेगावाट क्षमता निजी क्षेत्र द्वारा विकसित की जा चुकी है, जिनमे से मुख्या निम्न है
1. मैसर्स राजवेस्ट पावर – 1080 मेगावाट
2. अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट मुंद्रा – 380 मेगावाट
3. अडाणी पावर कवई (बारां) 1200 मेगावाट
4. अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट सासन – 372 मेगावाट
राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लि. अनुषंगी कम्पनी गिरल लिग्नाइट पाॅवर लिमिटेड की स्थापित क्षमता 250 मेगावाट है |
इसके अलावा निजी क्षेत्र द्वारा 1320 मेगावाट क्षमता का विद्युत उत्पादन संयंत्र पूर्व में छबड़ा (बारां) में प्रस्तावित था, जिसे अब बांसवाड़ा जिले में स्थापित किया जाएगा।
ऊर्जा संरक्षण दिवस 14 दिसम्बर को मनाया जाता है।
काम के नोट्स: