Geography of Rajasthan- Notes on Water Resources of Rajasthan

Geography of Rajasthan- Notes on Water Resources of Rajasthan

राजस्थान के जल संसाधन

राजस्थान पानी की किल्लत वाला राज्य हैं और यहां के जल संसाधन बहुत हद तक दूसरे राज्यों से आने वाली नहरों, नदियों और सालाना मानसून पर निर्भर करते हैं। पिछले कुछ समय में नहरों और वृहद् जल परियोजनाओं के माध्यम से राजस्थान में जल की कमी को दूर करने का प्रयास किया गया है। 
 
जल संसाधन की दृष्टि से राजस्थान को 15 नदी बेसिन तथा 541 सूक्ष्म जल ग्रहण क्षेत्रों के रूप में बांटा गया है। राजस्थान में सतही जल दक्षिणी एवं दक्षिणी पूर्वी भाग में अधिक है तथा पश्चिमी क्षेत्र में कम।

भू-जल संसाधन 

(1) यद्यपि राज्य में भू-जल की उपलब्धता सीमित है तथापि राज्य में भू-जल का उपयोग सिंचाई, पेयजल व औद्योगिक उपयोग के लिए किया जाता है। 
 
(2) राज्य में भू-जल की उपलब्धता में क्षेत्रीय असमानता और वस्तु के अनुसा उपलब्धता में अन्तर पाया जाता है। वर्षा ऋतु में यह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है तथा जल स्तर भी उच्च होता है जबकि गर्मी में जल स्तर निम्न तथा जल की मात्रा में भी कमी आ जाती है। 
 
(3) राज्य में भू-जल के मूल्यांकन हेतु पंचायत समिति (ब्लाॅक) को मूल्यांकन इकाई माना गया है। भूमिगत जल की उपलब्धता की दृष्टि से ब्लाॅक्स को सुरक्षित (2) अर्द्ध संकटग्रस्त (3) संकटग्रस्त (4) अत्यधिक दोहित (5) लवणीय में बांटा गया है। 
 
(4) वर्ष 2013 में ग्राउण्ड वाटर रिर्सोसेज डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 248 ब्लाॅक में से 164 अत्यधिक दोहित अर्थात डार्क जोन में आ चुके हैं। केवल 44 ही सुरक्षित श्रेणी में है। 
 
(5) चूरू के तारा नगर, बीकानेर के खाजुवाला और हनुमानगढ़ का रावतसर लवणीय श्रेणी में है। भू-जल के अत्यधिक दोहन से राज्य में भू-जल का स्तर निरन्तर नीचा होता जा रहा है। 
 
(6) राज्य में जल की सीमित उपलब्धता को देखते हुए बूंद-बूंद सिंचाई, फुहारा सिंचाई पद्धति अपनायी जानी चाहिए। शुष्क कृषि पद्धति एवं नमी संरक्षण विधि अपनायी जानी चाहिए। वर्षा जल संचयन पर बल दिया जाए। 
 

सिंचाई के साधन 

(1) नहरें, तालाब, कुएं, नलकूप राज्य में सिंचाई के प्रमुख साधन है। 
 
(2) राज्य में कुएं व नलकूप से कुल सिंचित क्षेत्रफल को लगभग 66 प्रतिशत भाग सिंचित होता है। राज्य के लगभग 70 प्रतिशत श्रोतों का आधार भी भू-जल ही है। 
 
(3) स्वतंत्रता से पूर्व महाराजा गंगासिंह ने 1927 में गंग नहर का निर्माण करवाया था जिससे मरुस्थलीय क्षेत्र हरा-भरा हो सका। इसी संकल्प के आधार पर बाद में इंदिरा गांधी नहर परियोजना का निर्माण किया गया। 
 
(4) राज्य में कुल सिंचित क्षेत्रफल का सबसे बड़ा भाग श्रीगंगानगर का एवं सबसे कम भाग राजसमंद जिले का है। 

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कुएं व नलकूप 

(अ) यह राज्य का सबसे महत्वपूर्ण सिंचाई का साधन है। 
 
(ब) कुएं व नलकूप से सर्वाधिक सिंचाई जयपुर व अलवर में होती है। 
 
(स) जैसलमेर जिले में स्थित चांदन नलकूप में मीठे पानी की उपलब्धता के कारण यह स्थान ’थार का घड़ा’ कहलाता है। 

नहरें 

(अ) राज्य के 33 प्रतिशत भाग में सिंचाई नहरों द्वारा होती है। 
 
(ब) नहरी सिंचाई में गंगानगर जिले का प्रथम स्थान है। 

तालाब 

(अ) तालाबों से राज्य के लगभग 1 प्रतिशत भाग पर सिंचाई होती है। 
 
(ब) राज्य के दक्षिणी एवं दक्षिणी पूर्वी भाग में सिंचाई का यह प्रमुख साधन है। 
 
(स) तालाबों द्वारा सिंचाई में प्रथम साधन भीलवाड़ा जिले का तथा द्वितीय स्थान उदयपुर जिले का है। 
 
(द) जैसलमेर में तालाबों का अभाव है लेकिन यहां सिंचाई के साधनों के रूप में खडीन पाए जाते हैं। खड़ीन का मतलब हल चलाने योग्य भूमि होता है। जैसलमेर में छोटे-छोटे खेतों में पाल बांधकर वर्षा का पानी एकत्र किया जाता है और जब यह पानी सूख जाता है तो उसमें हल चलाकर खेती की जाती है। 
 
राज्य में छोटे-बडे़ लगभग 450 जलाशय है। 
 
 

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