राजस्थान में सूती वस्त्र उद्योग
➤ प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता, ऊर्जा के संसाधन, मानव संसाधन, तकनीकी विकास का स्तर तथा आधुनिक परिवहन व संचार के साधन औद्योगिक विकास के लिए आवश्यक आधारभूत तत्व हैं।
➤ राजस्थान में प्राकृतिक संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं तथा क्षेत्रफल के दृष्टि से भी राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है, इसके बावजूद राजस्थान में उद्योगों का पर्याप्त विकास नहीं हुआ है।
➤ उद्योगों के अल्प विकास का प्रमुख कारण राज्य का अधिकांश भाग श्रेष्ठ तथा अर्द्धशुष्क होना है, साथ ही अरावली पहाड़ियों से घिरा होने के कारण पानी की कमी भी इसका एक प्रमुख कारण है।
➤ राजस्थान में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए 2015 में विशेष आर्थिक क्षेत्र विधेयक पारित किया गया था और मेक इन राजस्थान का नारा दिया गया।
राजस्थान के प्रमुख उद्योग सूती वस्त्र उद्योग
➤ नम जलवायु इस उद्योग के लिए उपयुक्त होती है। सूती वस्त्र उद्योग भारत के प्राचीनतम उद्योगों में से एक है, ढाका की मलमल मसूलीपट्टनम की छींट, कालीकट के केलिका तथा सूरत और वडोदरा की सुनहरी जरी के काम वाले सूती वस्त्र विश्व विख्यात हैं।
➤ राजस्थान में प्रथम सूती वस्त्र कारखाना कृष्णा मिल्स लिमिटेड, ब्यावर में 1889 में सेठ दामोदर दास व्यास द्वारा निजी क्षेत्र में स्थापित किया गया।
➤ ब्यावर में ही 1906 में एडवर्ड मिल्स लिमिटेड के नाम से दूसरी तथा 1925 में श्री महालक्ष्मी मिल्स लिमिटेड के नाम से तीसरे सूती वस्त्र मिल की स्थापना की गई थी।
➤ भीलवाड़ा में मेवाड़ टेक्सटाइल 1938 में, पाली में महाराजा उम्मेद मिल्स लिमिटेड 1942 में तथा 1946 में गंगानगर में सार्दुल टैक्सटाइल्स लिमिटेड की स्थापना की गई।
➤ राजस्थान की सबसे बड़ी सूती कपड़ा मिल महाराजा उम्मेद मिल पाली में स्थित है।
➤ आजादी के बाद सरकार ने उद्योगों को आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना आरंभ की तथा अन्य प्रोत्साहन भी उपलब्ध करवाए, इन कारणों से राजस्थान में किशनगढ़, विजयनगर, गुलाबपुरा, जयपुर, भवानी मंडी-कोटा, उदयपुर, भीलवाड़ा व बांसवाड़ा में सूती वस्त्र मिल स्थापित हुई।
➤ भीलवाड़ा को वस्त्र उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का मैनचेस्टर और वस्त्र नगरी भी कहा जाता है।
स्वतंत्रता के पश्चात राज्य में स्थापित प्रमुख सूती मिल निम्नानुसार है:
➤ राजस्थान स्पिनिंग एंड वीविंग मिल्स, गुलाबपुरा, भीलवाड़ा
➤ राजस्थान कोऑपरेटिव स्पिनिंग मिल्स, गुलाबपुरा, भीलवाड़ा
➤ गंगापुर कोऑपरेटिव स्पिनिंग मिल्स, गंगापुर, भीलवाड़ा
➤ गंगानगर स्पिनिंग मिल्स, हनुमानगढ़
➤ आदित्य मिल्स लिमिटेड, किशनगढ़, अजमेर
➤ मेवाड़ टेक्सटाइल मिल, भीलवाड़ा
➤ राजस्थान टैक्सटाइल मिल, भवानी मंडी, कोटा
➤ विजयनगर कॉटन मिल, विजयनगर, अजमेर
➤ बांसवाड़ा सिंटेक्स, बांसवाड़ा
➤ मयूर मिल्स लिमिटेड, बांसवाड़ा
➤ राजस्थान स्पिनिंग एवं वीविंग मिल्स लिमिटेड, ऋषभदेव
हाडोती के पठारी तथा सिंचित घग्घर के मैदान में कपास के उत्पादन के कारण भीलवाड़ा, कोटा, गंगानगर, पाली में सूती वस्त्र मिल स्थापित हुई।
राजस्थान में वर्तमान में लगभग 28 कपड़ा मिल हैं। राज्य में सूती मिले निजी, सार्वजनिक व सहकारी तीनों क्षेत्रों में कार्यरत हैं।
निजी क्षेत्र में स्थापित तीनों को राष्ट्रीय कपड़ा निगम ने 1974 में अधिग्रहित कर लिया था जो निम्नानुसार है:
1. एडवर्ड मिल, ब्यावर, अजमेर
2. महालक्ष्मी मिल्स, ब्यावर, अजमेर
3. विजयनगर कॉटन मिल्स, विजयनगर
सहकारी क्षेत्र की मिलें निम्न मिलों को मिलाकर 1993 में स्पिनफैड की स्थापना की गई थी इसके तहत आने वाली मिले हैं:
1. राजस्थान कोऑपरेटिव स्पिनिंग मिल्स, गुलाबपुरा, भीलवाड़ा
2. श्री गंगानगर कोऑपरेटिव स्पिनिंग मिल्स, हनुमानगढ़
3. गुलाबपुरा जिनिंग एंड प्रेसिंग मिल, गुलाबपुरा, भीलवाड़ा
सूती वस्त्र उद्योग की प्रगति में बाधक कारक निम्नानुसार है:
➤ कच्चे माल की आपूर्ति
➤ शुष्क जलवायु
➤ ऊर्जा की कमी
➤ पुरानी मशीनरी
➤ पूंजी की कमी
➤ अप्रशिक्षित श्रमिक
कुलदीप सिंह चौहान
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