legislative council GK Facts – क्या है महाराष्ट्र का संवैधानिक संकट?

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महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे फिलहाल किसी भी सदन के सदस्य नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 164 के अनुसार ऐसा व्यक्ति जो राज्य विधान मंडल का सदस्य नहीं है लेकिन उसे मंत्रिपरिषद में शामिल कर लिया गया है तो 6 महीने में उसे विधानमंडल के किसी भी सदन की सदस्यता हासिल करना जरूरी है। सदस्यता प्राप्त नहीं कर पाने की स्थिति में उद्धव ठाकरे को पद छोड़ना होगा। उद्धव ठाकरे को 27 मई से पहले राज्य विधान मंडल का सदस्य होना जरूरी है.

दरअसल कोविड—19 के कारण चुनाव आयोग द्वारा महाराष्ट्र में होने वाले चुनावस्थगित किए गए थे, इस वजह से मुख्यमंत्री बने रहने के लिये उद्धव ठाकरे मंत्रिमंडल द्वारा उद्धव ठाकरे को राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाने की सिफारिश की गई. 

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में द्विसदनीय व्यवस्था है। यहां विधान सभा के साथ—साथ एक विधान परिषद भी है। जिस तरह विधान सभा में चुने गये सदस्य को एमएलए कहा जाता है, उसी तरह विधान परिषद के लिये चुने गये सदस्य को एमएलसी कहा जाता है। एमएलसी का पूरा नाम मेंबर आफ लेजिस्लेटिव काउन्सिल है। 

भारत में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक सहित कुल 6 राज्यों में द्विसदनीय व्यवस्था है अर्थात विधानसभा के साथ-साथ विधान परिषद भी है।  

विधान परिषद के गठन का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 169 में है।  

विधान परिषद के लिए राज्य सभा की तरह अप्रत्यक्ष निर्वाचन होता है।

सदस्यों की कुल संख्या का 1/3 सदस्य स्थानीय स्वशासन इकाइयों द्वारा, 1/12 स्नातकों द्वारा, 1/12 अध्यापकों द्वारा, 1/3 विधानसभा सदस्यों द्वारा निर्वाचित होते हैं व शेष 1/6 राज्यपाल द्वारा नामित किए जाते हैं।  

राज्यपाल अनुच्छेद 171 के तहत कला, साहित्य, विज्ञान, समाजसेवा एवं सहकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले सदस्यों को मनोनीत कर सकता है.

संविधान के अनुच्छेद 163 के अनुसार राज्यपाल ऐसी नियुक्ति मंत्रीपरिषद के सलाह के आधार पर करता है। यह सलाह बाध्यकारी होती है। 

महाराष्ट्र में राज्यपाल द्वारा नामित की जाने वाली दो विधान परिषद सीटें रिक्त है हालांकि इन सीटों का कार्यकाल 6 जून को समाप्त हो रहा है और मनोनयन केवल शेष अवधि के लिए ही हो सकता है। 

महाराष्ट्र में हाल ही में विधान परिषद की सदस्यता चर्चा में आई जब वहां के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपने पद पर बने रहने के लिये विधान परिषद की सदस्यता प्राप्त करने की जरूरत पड़ी. भारत के कई राज्यों में विधान परिषद है, जिसका सदस्य राज्य मंत्रीमण्डल में पद धारण कर सकता है.

पूर्व में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे और पृथ्वीराज चौहान मुख्यमंत्री बनने के बाद सदस्य बने थे.

चुनाव आयोग ने 21 मई को विधान परिषद के लिये रिक्त 9 सीटों पर ​चुनाव की घोषणा की है। 

यदि उद्धव ठाकरे विधान परिषद के लिये निर्वाचित हो जाते हैं तो यह संवैधानिक संकट समाप्त हो जायेगा।
कुलदीप सिंह चौहान
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