Notes on Local Self Government & Panchayati Raj in rajasthan in Hindi

राजस्थान में पंचायती राज का इतिहास

 राजस्थान में पंचायतीराज की दिशा में पहला कदम राजस्थान के एकीकरण के दौरान ही उठाया गया.
 संयुक्त राजस्थान में पंचायत राज अध्यादेश 1948 पारित कर लागू किया गया.

 1949 में मुख्य पंचायत अधिकारी के अधीन एक पंचायत विभाग का गठन किया गया.
 राजस्थान के एकीकरण के बाद भी पूरे राजस्थान में पुराने कानूनो के हिसाब से पंचायतीराज व्यवस्था चलती रही.
 सात मुख्य कानूनो की वजह से प्रदेश में पंचायतीराज को लेकर एक रूपता नहीं थी.
 पूरे राज्य के पंचायतीराज में एकरूपता लाने के लिए राजस्थान में राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम 1953 पारित कर 1 जनवरी, 1954 से इसे लागू किया गया.
 इसी बीच भारत सरकार ने पूरे देश में पंचायतीराज व्यवस्था के लिए जनवरी, 1957 में बलवन्तराय मेहता समिति का गठन किया.
 समिति ने 24 नवम्बर 1957 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और देश में पंचायतीराज के लिए त्रिस्तरीय व्यवस्था की सिफारिष की.
 बलवन्त राय मेहता समिति की रिपोर्ट पर सबसे पहले राजस्थान सरकार ने पंचायतीराज के माध्यम से सत्ता का विकेन्द्रीकरण करने के लिए 1959 में पंचायती राज और जिला परिषद के लिए बिल पारित किया.
 इस बिल के पारित होने के बाद पहली बार पंचायती राज संस्थाओं के लिए निर्वाचन किया हुआ और 2 अक्टूबर 1959 को पंचायतीराज का राजस्थान के नागौर में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा विधिवत शुरू किया गया.

 राजस्थान में 232 पंचायत समितियों और 26 जिला परिषदों के साथ पंचायती राज का काम शुरू हुआ.
 पंचायतीराज संस्था की शुरूआत करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बना.
 जब राजस्थान में पंचायती राज लागू किया गया तब राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री मोहन लाल सुखाड़िया थे.
 बलवंराय मेहता समिति के अनुसार राजस्थान में ग्राम पर ग्राम पंचायत, खण्ड स्तर पर पंचायत समिति और जिला स्तर पर जिला परिषद का गठन किया गया था.
 यह व्यवस्था ज्यादा सफल नहीं हो पाई और विकेन्द्रीकरण की अवधारणा को लेकर हुआ प्रयोग बहुत ज्यादा नहीं चल सका.
 इस व्यवस्था की कमियों को दूर करने के लिए भारत सरकार ने 1977 में अशोक मेहता समिति का गठन किया जिसने पंचायत की त्रिस्तरीय व्यवस्था को कम कर द्विस्तरीय करने की सिफारिश की लेकिन यह आगे नहीं बढ़ पाया.
  इसके बाद राजीव गांधी ने 64वें संविधान संशोधन विधेयक के माध्यम से पंचायतीराज संस्थाओं में सुधार करने का प्रयास किया लेकिन यह विधेयक ही पारित नहीं हो सका.
 पंचायती राज संस्थाओं को लेकर 72वां संविधान संशोधन विधेयक 16 सितम्बर, 1991 में पी.वी. नरसिंहा राव की सरकार ने पारित कर दिया.
 राजस्थान सरकार ने 73वें संविधान संशोधन विधयेक को आधार बनाते हुए प्रदेश में राजस्थान पंचायत राज अधिनियम 1994 पारित किया, जो 23 अप्रेल 1994 से लागू हो गया.


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