राजस्थान में वन संरक्षण एवं अभयारण्य
➤ राजस्थान में 1951 में वन्य जीव एवं संरक्षण अधिनियम वन संरक्षण की दिशा में पहला प्रभावशाली कदम था।
➤ सन् 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण एक्ट तथा 1986 में पर्यावरण संरक्षण एक्ट द्वारा वन्य जीवों की रक्षा हेतु कानून बनाए गए हैं।
➤ राजस्थान में विश्नोई समाज के लोग वन्य जीवों की रक्षा हेतु प्रतिबद्ध हैं।
रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान
➤ सवाई माधोपुर के पास रणथम्भौर के चारों तरफ के क्षेत्र में फैला यह राष्ट्रीय उद्यान बाघ संरक्षण स्थल है।
➤ यह उद्यान 392 वर्ग किमी. में फैला हुआ है।
➤ भारतीय बाघ, बघेरे तथा रीछों को घूमते हुए यहाँ देखा जा सकता है।
➤ सांभर, चीतल, नीलगाय, मगरमच्छ तथा अनेकों प्रकार के पक्षी यहाँ का अतिरिक्त आकर्षण हैं।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
➤ भरतपुर में स्थित यह एशिया में पक्षियों का सबसे बड़ा प्रजनन क्षेत्र है।
➤ इसको ‘घना’ के नाम से भी जाना जाता है।
➤ इसका क्षेत्रफल 29 वर्ग कि.मी. है, जिसमें 11 वर्ग कि.मी. में झील है।
➤ इसमें 113 प्रजातियों के विदेशी प्रवासी पक्षी तथा 392 प्रजातियों के भारतीय स्थानीय पक्षियों को देखा जा सकता है।
➤ अन्तर्राष्ट्रीय पक्षी सफेद सारस (साइबेरियन क्रेन) यहाँ सर्दियों के महिने में निवास करते हैं।
➤ हंस, शक, सारिका, चकवा-चकवी, लोह, सारस, कोयल, धनेष तथा राष्ट्रीय पक्षी मोर यहाँ देखे जा सकते हैं।
मुकन्दरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान
➤ यह कोटा जिले में लगभग 200 वर्ग कि.मी. के क्षेत्र में विस्तृत है।
➤ यहाँ प्रमुख रूप से चीतें, बाघ, सूअर तथा अन्य जंगली जीव एवं विभिन्न प्रकार के पक्षी है।
➤ मुकन्दरा की पहाड़ियों में स्थित यह सघन वन से युक्त है।