राजस्थान में वन संरक्षण एवं अभयारण्य-2
जैसलमेर राष्ट्रीय मरु उद्यान
➤ वर्ष 1981 में जैसलमेर में ‘राष्ट्रीय मरु उद्यान’ (National Desert Park) की स्थापना की गई।
➤ इसका प्रमुख उद्देश्य इस क्षेत्र की प्राकृतिक वनस्पति एवं करोड़ों वर्षों से भूमि के गर्भ में दबे जीवाश्मों को संरक्षण प्रदान करना है।
➤ इसे जीवाश्म उद्यान (Fossil Park) भी कहा जाता है।
➤ इसका विस्तार लगभग 3162 वर्ग किमी. क्षेत्र में है, जो जैसलमेर -बाड़मेर जिलों में विस्तृत है।
➤ जीवाश्म एवं वनस्पति संरक्षण के अलावा यहाँ चिंकारा, चौसिंघा, काला हिरण एवं गोडावन को भी संरक्षण प्रदान किया जाता है।
सरिस्का वन्य जीव अभयारण्य (Tiger Project Sariska)
➤ अलवर से 35 किमी. दूर सरिस्का नामक स्थान पर स्वतन्त्रता से पूर्व ही एक पैलेस बनाकर वन्य जीव-अभयारण्य का प्रारम्भ कर दिया गया था।
➤ राज्य सरकार ने 1955 में इसे विधिवत अभयारण्य घोषित किया और 1990 में इसे राष्ट्रीय उद्यान (National park) का स्तर दिया गया।
➤ यहाँ केन्द्र सरकार द्वारा ‘बाघ परियोजना’ (Tiger Project) प्रारम्भ की गई।
➤ इस वन विहार में शेर, बघेरा, सांभर, चीतल, नीलगाय, जंगली सूअर, काला खरगोश, लंगूर के अतिरिक्त अनेक प्रकार के पक्षी भी निवास करते हैं।
➤ सरिस्का के सम्बन्ध में कटु सत्य यह है कि यहाँ के समस्त बाघ समाप्त हो गये थे।
➤ पुनः यहाँ बाघों की वृद्धि हेतु रणथम्भौर से कुछ बाघों को स्थान्तरित किया गया है जिससे यहाँ पुनः बाघ संवर्धन हो सके।
नाहरगढ़ वन्य जीव अभयारण्य
➤ यह राजस्थान जिले के ऐतिहासिक दुर्ग आमेर, नाहरगढ़ व जयगढ़ के चारों तरफ फैला हुआ है।
➤ इसको 1982 में अभयारण्य बनाया गया था।
➤ यह 50 किमी. के वन क्षेत्र में फैला हुआ है।
➤ इस अभयारण्य के बनने के बाद वर्ष भर पानी की उपलब्धता व घने जंगलों के कारण बाघ अब पुनः इस क्षेत्र में रहने लगे हैं।
➤ इसके अतिरिक्त अन्य वन प्राणी जिसमें प्रमुखतः लंगूर, सेही व पाटागोह आदि यहाँ दिखाई देते हैं।
जमवारामगढ़ अभयारण्य
➤ जयपुर जिले के प्रसिद्ध शिकारगाह रामगढ़ को भी 1982 में अभयारण्य घोषित किया गया था।
➤ यह 360 किमी. के वन क्षेत्र में फैला हुआ है।
➤ साधारण रूप में यहाँ बघेरा, जरक, जंगली सूअर, जंगली बिल्ली, भेड़िया, नीलगाय व सांभर आदि वन्य जीव मिलते हैं।
तालछापर कृष्ण मृग अभयारण्य
➤ राज्य के उत्तरी जिले चूरु में स्थित है।
➤ चूरू जिले के सुजानगढ़ कस्बे से 12 किमी. दूर बिकानेर -जयपुर राजमार्ग पर स्थित है।
➤ यह 820 हैक्टेयर क्षेत्र में फैला है। यहाँ सिर्फ काले हिरण ही मिलते हैं।
➤ जिनको 500 तक के झुण्ड में देखा जा सकता है।