किराडू (Kiradoo)
बाड़मेर (Barmer) के उत्तर—पश्चिम में लगभग 33 किलोमीटर दूर बाड़मेर मुनाबाव रेल लाइन के खड़ीन स्टेशन से उत्तर दिशा में हाथमा गांव के समीप यह ऐतिहासिक स्थान है। यहां पांच मंदिर विद्यमान हैं। शिल्प कलाकृतियों का यह एक प्रमुख केन्द्र है। मंदिर के खम्भों में यहां 1161 ईसवी काल का शिला लेख मौजूद है। प्रत्येक मंदिर पर शिल्प कला का बेजोड़ नमूना है। रामायण एवं महाभारत के अतिरिक्त् अन्य पौराणिक कथाओं एवं जनजीवन की झांकी का विवरण पाषाणों में अंकित है। पांच मंदिरों में सोमेश्वर, शिव, ब्रह्मा एवं विष्णु हैं। आज इन पांच मंदिरों में से केवल विष्णु मंदिर और सोमेश्वर मंदिर ही ठीक हालत में है। सोमेश्वर मंदिर यहाँ का सबसे बड़ा मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि विष्णु मंदिर से ही यहां के स्थापत्य कला की शुरुआत हुई थी और सोमेश्वर मंदिर को इस कला के उत्कर्ष का अंत माना जाता है। किराडू का प्राचीन नाम किरात कूप भी बताया जाता है। जहां बिखरे पाषाणों से पता चलता है कि पूर्व में यहां एक पूर्ण व्यवस्थित नगर बसा हुआ था। मंदिर के सामने पहाड़ी पर महिषासुर मर्दिनी की एक त्रिपाद मूर्ति है। कला की दृष्टि से तीन पैरों वाली यह मूर्ति बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसे राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है।