सरिस्का
अलवर जयपुर मार्ग पर अलवर से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित सरिस्का अभयारण्य सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र है। आठ सौ वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभयारण्य में बड़ी संख्या में वन्यजीवों को विचरण करते हुए देखा जा सकता है। इसे 1955 में वन्यजीव आरक्षित भूमि घोषित किया गया था। 1979 में इसे बाघ परियोजना रिजर्व का दर्जा प्रदान किया गया। 1982 में इसे नेशनल पार्क बना दिया गया। भारत के इस प्रमुख बाघ अभयारण्य में बाघ, चीत्ता, तेंदुआ, जंगली बिल्ली, कैरकल, धारीदार बिज्जू, सियार स्वर्ण, चीतल, साभर, नीलगाय, चिंकारा, चार सींग शामिल ‘मृग’ चौसिंगा, जंगली सुअर, खरगोश, लंगूर और ढेरों प्रजाती के पक्षी और सरीसृप मिलते हैं। 2005 में यहां से बाघ लगभग लुप्तप्राय: हो गए थे लेकिन फिर इन्हें बचाने के लिए बाघ पुनर्वास कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। जुलाई 2014 तक यहां बाघों की संख्या बढ़कर 11 हो गई थी। सरिस्का में ढेरों ऐतिहासिक इमारतें भी हैं जिनमें 17वीं सदी में जयसिंह द्वितीय द्वारा बनाय गया कनकावाड़ी किला महत्वपूर्ण है। इसके अलावा भानगढ़ का किला, प्रतापगढ़ का किला और अजबगढ़ का किला तथा सरिस्का पैलेस प्रमुख दर्शनीय इमारते हैं।