culture of Rajasthan

Tribal Culture of Banswara

बांसवाड़ा की आदिवासी संस्कृति इस जिले की 70 प्रतिशत से भी अधिक जनसंख्या आदिवासी भीलों की है। भीला या मीणा भारत के प्राचीनतम निवासियों में से हैं। कर्नल टाड ने इनाक नाम ‘वन पुत्र’ रखा है जो सदियों से जंगलों में रहते आए हैं। यहां की आदिवासी संस्कृति जन जीवन के प्रमुख केन्द्र बिन्दु स्थान—स्थान […]

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Fairs and Festivals of Banswara

बांसवाड़ा के प्रमुख मेले एवं त्योहार घोडी—रणछोड़ जी का मेला: जिले के मोटाग्राम में यह मेला आयोजित होता है​ जिसमें 5 से 10 हजार तक मेलार्थी शामिल होते हैं। कलाजी का मेला:आसोज नवरात्रि के प्रथम रविवार को जिले के गोपीनाथ का गढ़ा ग्राम मेला आयोजित किया जाता है जिसमे हजारो मेलार्थी शामिल होते हैं। देव झूलनी:बांसवाड़ा

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Dialects and Costumes of Alwar

अलवर की बोलियां और वेशभूषा वर्तमान में इस जिले में चार बोलियां उपयोग में लाई जाती है। जिले के पूर्वी भाग में ब्रज, पश्चिम में अहीरवाटी, उत्तर में मेवाती तथा दक्षिण भाग में ढूंढारी बोली इस्तेेमाल की जाती है। प्रमुखत: यहां मेवाती और अहीरवाटी बोली का ही प्राधान्य माना जाता है। ब्रज भाषा के प्रभाव जिले

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Painting and Arts of Alwar

अलवर की चित्रकला राजस्थान की विभिन्न ​चित्रकला शैलियों में अलवर शैली की अपनी विशिष्टता है। अलवर शैली की चित्रकला का विकास अलवर रियासत के संस्थापक राव राजा प्र​तापसिंह द्वारा 1775 में राजगढ़ को अपनी राजधानी बनाने से लेकर तत्कालीन महाराजा जयसिंह के शासनकाल (1892—1937) के अन्त तक रहा। इस काल में जिन कलाकारों ने अपनी

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Music of Alwar

अलवर की संगीत कला कलाओं की साधना और विकास में इस जिले के कलाकारों को अपनी देन रही है। यहां की संगीत परम्परा को दरबारी संगीत और लोक संगीत मे विभाजित किया जा सकता है। दरबारी संगीत में गणगौर, तीज, होली, दिपावली जैसे पर्व तथा विवाह और अन्य मांगलिक अवसरों पर आयोजित संगीत म​हफिलों में

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