बांसवाड़ा के प्रमुख मेले एवं त्योहार
घोडी—रणछोड़ जी का मेला: जिले के मोटाग्राम में यह मेला आयोजित होता है जिसमें 5 से 10 हजार तक मेलार्थी शामिल होते हैं।
कलाजी का मेला:आसोज नवरात्रि के प्रथम रविवार को जिले के गोपीनाथ का गढ़ा ग्राम मेला आयोजित किया जाता है जिसमे हजारो मेलार्थी शामिल होते हैं।
देव झूलनी:बांसवाड़ा शहर के सभी मंदिरों से शोभा यात्रा शहर के मुख्य मार्गों से होती हुई तेजाजी(राजातालाब) इकट्ठे होते हैं, जहां देवझूलनी का विराट मेला भरता है। इसमें जिले के अंचलों से लाखों आदिवासी लोग शामिल होते हैं।
घोटियाअम्बा: हर वर्ष चैत्र बदी अमावस्या पर जिले के बुडवा ग्राम के निकट घोटियाअम्बा धाम पर मेला आयोजित होता है। यहां भी लाखों की संख्या में मेलार्थी आते हैं तथा भविष्य के लिए मनोतियां मानते हैं।
अन्देश्वर:जिले में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर अन्देश्वर पार्श्वनाथ अतिशय जैन तीर्थ पर अभिलेख एवं अन्देश्वर पार्श्वनाथ की पूजा—अर्चना की जाती है। यहां करीब 25 हजार मेलार्थी भाग लेते हैं।
बेणेश्वर:बांसवाड़ा एवं डूंगरपुर जिले की सीमा पर स्थित इस बेणेश्वर धाम पर सोम, माही एवं जाखम नदियों का संगम होता है। यहां हर वर्ष माघ पूर्णिमा पर मेले का आयोजन होता है जिसमें लाखों मेलार्थी भाग लेते हैं।
रथ यात्रा: भाद्रपद एकम से चतुर्थी तक सभी तहसील मुख्यालयों एवं बड़े कस्बों में शोभा यात्रा आयोजित की जाती है। इसमें काष्ठ कलाकारी से निर्मित रथों की यात्रा निकाली जाती है। इस दौरान डांडिया व गेर नृत्य भी किए जाते हैं।
मानगढ़:आनंदपुरी पंचायत समिति मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर गुजरात राज्य की सीमा से लगते हुए मानगढ़ धाम में शरद पूर्णिमा पर आदिवासी भक्त सम्प्रदाय के व्यक्तियों द्वारा इस मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में करीब 50 हजार मेलार्थी शामिल होते हैं।
गोपेश्वर:कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर घाटोल ग्राम के निकट मेले का आयोजन होता है। इस मेले में लगभग 15 हजार मेलार्थी शामिल होते हैं।