तलवाड़ा के प्राचीन मंदिर
बांसवाड़ा के लगभग 15 किलोमीटर पश्चिम में बांसवाड़ा ग्राम के बाहर 11वीं शताब्दी के आसपास का बना हुआ जीर्ण—शीर्ण सूर्य मंदिर है, जिसमें सूर्य की मूर्ति एक कोने में रखी हुई है और बाहर के चबूतरे पर सूर्य के रथ का एक चक्र टूटा हुआ पड़ा है। उसके निकट श्वेत पत्थर से बनी हुई नवग्रहों की मूर्तियां हैं। सूर्य मंदिर के पास ही बारहवीं शताब्दी के आसपास का बना हुआ लक्ष्मी नारायाण का मंदिर है जिसके नीचे का हिस्सा प्राचीन व ऊपर का नया है। मूर्ति सभा मण्डप में रखी हुई है। एक ताक में ब्रह्मा की मूर्ति भी है। सूर्य मंदिर के निकट ही एक जैन मंदिर है जिसका थोड़ा ही अंश अवशेष रहा है। बाहर एक खेत में वहां की दो दिगम्बर मूर्तियां हैं, जो कारीगरी की दृष्टि से बहुत उत्तम हैं। उनमें से एक के नीचे विक्रम सम्वत 1123 का लेख है। इस मंदिर के सामने ही थोड़ी दूरी पर गदाधर का जीर्ण शीर्ण मंदिर है जिसकी छत पर आबू के प्रसिद्ध विमलशाह के मंदिर जैसी सुंदर कारीगरी है। कारीगरी की दृष्टि से यहां की शिल्पकला अद्वितीय है।