Micro, Small and Medium Enterprises in Rajasthan – राजस्थान में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम
एमएसएमई क्षेत्र राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह क्षेत्र आर्थिक गतिविधियों और जॉब क्रिएशन का नेतृत्व करता है।
राजस्थान के औद्योगिक परिदृश्य में माइनिंग, टेक्स्टाइल, ऑटो और इंजीनियरिंग, एग्रो और फूड प्रोसेसिंग जैसे विविध क्षेत्र एमएसएमई के लिए महत्वपूर्ण अवसर उपलब्ध करवाते हैं।
राजस्थान में एमएसएमई क्षेत्र लगातार वृद्धि कर रहा है और कृषि के बाद सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है।
एमएसएमई की नई परिभाषा |
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भारत सरकार ने 1 जून 2020 को अधिसूचना जारी कर एमएसएमई की परिभाषा में बदलाव किया है, नई परिभाषा के अनुसार: 1. सूक्ष्म उद्यम वह है जिसमें संयंत्र और मशीनरी अथवा इक्विपमेंट में एक करोड़ रुपए से अधिक का निवेश नहीं होता है तथा कारोबार 5 करोड़ रुपए से अधिक नहीं होता है। 2. लघु उद्यम िजिसमें संयंत्र और मशीनरी अथवा इक्विपमेंट में 10 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश नहीं होता है तथा कारोबार 50 करोड़ रुपए से अधिक नहीं होता है। 3. मध्यम उद्यम जिसमें संयंत्र और मशीनरी अथवा इक्विपमेंट में 50 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश नहीं होता है तथा कारोबार 250 करोड़ रुपए से अधिक नहीं होता है। विनिर्माण (मैन्यूफेक्चरिंग) और सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) के बीच के अंतर को भी समाप्त किया गया है। |
राजस्थान सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) एक्ट 2019 के प्रमुख बिंदू
➤ नवीन उद्योगों की सरल स्थापना, उनके समुचित संचालन व विकास हेतु उद्यमों को प्रारम्भिक वर्षाें में राज्य के विभिन्न एक्ट्स के अधीन दी जाने वाली स्वीकृतियों एवं सम्बन्धित निरीक्षणों से मुक्त करने हेतु राजस्थान सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम (फैसिलिटेशन आफ एस्टेब्लिशमेन्ट एण्ड आपरेशन) आर्डिनेन्स, 2019 दिनांक 04.03.2019 को अधिसूचित किया गया है।
➤ इस अध्यादेश के प्रावधानों के अनुसार उद्यमी एक निर्धारित प्रारूप में अपना आवेदन प्रस्तुत करेगा और “प्राप्ति का प्रमाण-पत्र” जारी किया जायेगा।
➤ इस प्रमाण पत्र को प्राप्त करने के 3 वर्ष तक उद्यम विभिन्न विभागों की स्वीकृतियों व निरीक्षणों से मुक्त रहेगा। उद्यमों को 3 वर्ष की समाप्ति के पश्चात् 6 माह में आवश्यक स्वीकृतियाॅं प्राप्त करनी होंगी।
➤ इस अध्यादेश में राज्य सरकार के अधिनियमों से सम्बन्धित स्वीकृतियों से मुक्ति दी ही गई है, साथ ही भारत सरकार के भी ऐसे अधिनियमों, जिनमें नियमानुसार राज्य सरकार को छूट प्रदान करने की शक्ति दी गई है, उनमें भी छूट का प्रावधान किया गया है।
➤ आर्डिनेन्स के क्रियान्वयन हेतु निवेश संवर्धन ब्यूरो नोडल एजेन्सी है।
राजस्थान सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) नीति 2015 के प्रमुख बिंदू
➤ प्रदेश में लगभग 1 लाख 20 हजार सूक्ष्म, 7000 लघु, 244 मध्यम और 316 बड़े उद्योग हैं। एमएसएमई द्वारा बड़े उद्योगों की तुलना में कई गुना अधिक लोगों को रोजगार दिया जा रहा है। इस नीति के माध्यम से राजस्थान में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के विकास को महत्व दिया गया है।
नीति की मुख्य बातें
(1) उद्योगो को समय सीमा में भू-आवंटन एवं भू-परिवर्तन करना।
(2) नये औद्योगिक क्षेत्र विकसित करना।
(3) निजी औद्योगिक पार्क एवं एमएसएमई क्लस्टर को बढ़ावा देना।
(4) बेरोजगार युवाओं को सूक्ष्म उद्योग स्थापित करने में सहयोग करना।
(5) एमएसएमई इकाईयों को बाजार विपणन में सहायता।
(6) थ्रस्ट सेक्टर पर फोकस।
(7) गुणवत्ता सुधार तथा अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना।
(8) रूग्ण इकाईयों के उत्थान हेतु सहायता।
राजस्थान एमएसएमई पाॅलिसी 2015 के तहत निम्न सुविधाऐं देय हैः-
➤आईएसआई/बीआईएस/डब्लुएचओ-जीएमपी/हालमार्क सर्टिफिकेशन प्राप्त करने पर 50 प्रतिशत पुनर्भरण
➤ उत्पाद शोध विकास एवं जांच प्रयोगशाला स्थापित करने पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम एसोसिऐशन को डीएलसी दर से 50 प्रतिशत भूमि उपलब्ध कराना तथा 50 प्रतिशत पूंजी लागत उपलब्ध कराना।
➤ उद्योग संघों द्वारा काॅमन इफयुलेन्ट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) की स्थापना करने पर पूंजी में 50 प्रतिशत का पुनर्भरण।
➤ लघु एवं मध्यम उद्यम द्वारा इफयुलेन्ट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) की स्थापना के उपरान्त यदि पुनर्चक्रित पानी का 80 प्रतिशत उपभोग किया जाता है तो स्थिर पूंजी का 50 प्रतिशत का पुनर्भरण।
➤ सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों द्वारा वित्तीय संसथाओं से क्रेडिट गारण्टी ट्रस्ट फॅार माइक्रो एण्ड स्माॅल एन्टरप्राइजेज (सीजीटीएमएसई) के तहत सीकिंग काॅलेटरल फ्री लोन (अधिकतम 1 करोड़ रू.) हेतु सर्विस चार्ज के तहत ऋण राशि का 0.5 प्रतिशत या 25000 रूपये जो भी कम हो, का पुनर्भरण।
➤ लघु एवं मध्यम उद्यम हेतु एसएमईज एक्सचेंज द्वारा रेजिंग आफ फण्ड पर हुए व्यय का 10 प्रतिशत (अधिकतम 2.5 लाख रू.) की सहायता।
काम के नोट्स: