सीलीसेढ़
अलवर से करीब 16 किलोमीटर दूर तहीन ओर अरावली पर्वत की श्रेणियों से घिरा यह सुरम्य स्थल पर्यटकों के आकर्षण का एक प्रमुख केन्द्र है। इस स्थल का समग्र सौन्दर्य घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरी नीली झील में सिमट कर आ गया है। वर्षा ऋतु में यह स्थान और भी अधिक मनोहारी हो जाता है। 1845 में महाराजा विनय सिंह ने अपनी रानी शीला के लिए यहां एक महल और शिकारगाह का निर्माण करवाया था। इस झील से रूपारेल नदी की सहायक नदी निकलती है। मानसून में इस झील का क्षेत्रफल बढकर 10.5 वर्ग किमी तक हो जाता है।इसे राजस्थान का नंदनकानन भी कहा जाता है।