शिमला (कंपनी बाग)
अलवर के कम्पनी बाग में सन् 1885 में तत्कालीन महाराजा मंगलसिंह द्वारा निर्मित यह शिमला देशी—विदेशी पर्यटकों को तो अपनी ओर आकर्षित करता ही है, साथ ही अपनी अनूठी विशेषताओं के कारण पूरे भारत में अपना सानी नहीं रखता। जो जमीन से पच्चीस फीट गहरे तीस सौ अस्सी फीट लंबे और 288 फीट चौड़े आयताकार गड्डे में रंग—बिरंगे फूलों से गुंफित लतामंडपों से आच्छादित है। इसमें जगह—जगह फव्वारे लगे हुए हैं जिनके चला देने पर वर्षा की झड़ी सी लग जाती है। इस विशाल गुम्बदनुमा शिमला का जो मनोहारी दृश्य उभरता है वह तेज तीखी धूप से व्याकुल दर्शक को ऐसी चंदन सी शीतलता प्रदान करता है कि वह यहां से उठने का नाम ही नहीं लेता।