नाकोड़ा (Nakoda)
जोधपुर—बाड़मेर में मध्यवर्ती बालोतरा जंक्शन से लगभग नौ किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में जैन सम्प्रदाय का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान नाकोड़ा (Nakoda) है जिसे मेवानगर के नाम से भी जाना जाता है। यहां प्रति वर्ष पौष बदी दशमी को श्री पार्श्वनाथ के जन्मोत्सव पर विशाल मेला लगता है। स्थापत्य कला की दृष्टि से यहां आदिनाथ मंदिर और शांतिनाथ मंदिर बेजोड़ और दर्शनीय है।जनश्रुति के अनुसार वीरमदत्त एवं नाकोरसेन दोनों बन्धुओं ने क्रमशः वीरमपुर एवं नाकोर नगरों की स्थापना की थी । आचार्य स्थूलिभद्रसूरि की निश्रा में वीरमपुर में चंन्द्रप्रभु की एवं नाकोर में श्री सुविधिनाथ की जिन-प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा करवाई । समय—समय पर सम्राट अशोक के पौत्र सम्प्रति ने, उज्जेैन के विक्रमादित्य ने और आचार्य श्री मानतुंगसूरि ने इन जिन-मंदिरों का जीर्णाेद्धार करवाया । विनाश के घटनाचक्रों से त्रस्त वीरमपुर ऐतिहासिक गतिविधियों के साथ बदलता रहा जो 15वीं वे पुनः धीरे धीरे आबाद हुआ और 17वीं शताब्दी तक आबाद होता रहा। सैकड़ों खण्डहर नाकोड़ा जैन मंदिर के पास आज भी अपने प्राचीन वैभव, शिल्पकला, निर्माण कला के प्रतीक बने हुए हैं । नाकोड़ा जैन तीर्थ की परिधि में मुख्य तीन विशाल शिखरधारी जैन मंदिर, कई छोटे शिखरों की देव गुम्बज और दो वैष्णव मंदिर विद्यमान हैं । इसमें सबसे पुराना एवं वर्तमान में मुख्य श्री नाकोड़ा (Nakoda) पार्श्वनाथ स्वामी का जिन-मंदिर है, जिसका समय समय पर विनाश, विध्वंश और जीर्णोद्धार चलते ही रहे हैं ।